Thursday 25 June 2015

100 स्मार्ट शहर विरुद्ध १५००० स्मार्ट गाँव

                  100 स्मार्ट शहर विरुद्ध १५००० स्मार्ट गाँव
मोदी जी लगातार १०० स्मार्ट शहर बनाने की बात कर रहे हैं. इनमे से हर शहर की औसत आबादी १० लाख होने का अनुमान है. इस तरह हम लगभग १० करोड़ ग्रामीण आबादी को शहर में बसा रहे हैं. इस आबादी के लिए उद्योगों की स्थापना भी वहीँ होगी. उद्योगों से निकलने वाली जहरीली गैस और कचरा पर्यावरण पर कितना बुरा प्रभाव डालते हैं यह किसी से छिपा नहीं है. फिर जल और अन्य प्राकृतिक संसाधनों का दोहन और उनसे होने वाले नुकसान से कैसे बचा जायेगा यह भी सुनिश्चित करना होगा. पर्यावरण पर शहरीकरण का दुष्प्रभाव हम देख रहे हैं. संक्षेप में कहें तो प्रकृति के विरुद्ध उठाया जाने वाला यह एक और कदम होगा. उद्योगों के लिए नयी ज़मीन का अधिग्रहण करना होगा, जब की केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा अधिगृहित लाखों एकड़ ज़मीन खाली पड़ी है. देश भर के औद्योगिक क्षेत्रों के लगभग ३५ से ४०% प्लाट खाली पड़े हैं. 
इसकी जगह अगर हम १०० वर्तमान बड़े शहरों और औद्योगिक क्षेत्रों के बाहर के घेरे में १५००० स्मार्ट गांव विकसित करें तो बेहतर होगा. अगर चुने हुए १०० वर्तमान शहरों में से हर एक के बाहरी घेरे के १० से १५ किमी के घेरे के अन्दर के लगभग १५० गावों को स्मार्ट गाँव बना दिया जाये, उन्हें वर्तमान शहर और प्रस्तावित उद्योगों से सड़को, रिंग रूट, बसों, मेट्रो ट्रेनों आदि से जोड़ दें, स्कूल, २४ घंटे बिज़ली, पानी, सीवेज, सफाई आदि की विश्वस्तरीय व्यवस्था कर दें तो न सिर्फ उन गांवों के लोगो का शहरों की तरफ पलायन रुकेगा, बल्कि सुदूर भागों से नौकरी, व्यापार के लिए आये लोगों के परिवारों को हम इन गावों में बसा सकेंगे. इससे भी बेहतर हो की अगर हम २०० छोटे बड़े शहरों को चुने और उनमें प्रति शहर के आसपास ७० से ७५ स्मार्ट गाँव विकसित करें. 
उदाहरणार्थ यदि किसी प्रस्तावित औद्योगिक क्षेत्र या पुराने औद्योगिक क्षेत्र जहाँ अब भी काफी नए उद्योग लगाने की संभावनाएं हैं, उनको केंद्र में रख कर इस तरह के स्मार्ट/आदर्श गाँव बना दिए जाएँ तो न तो ज़मीन अधिग्रहण की आवश्यकता होगी न तो लोगों को उजाड़ने की जरुरत पड़ेगी. 
अगर हम मान ले की वर्तमान में इन गांवों की जनसंख्या लगभग २००० से २५०० व्यक्ति प्रति गाँव है और इनमे इस योजना के तहत ६००० से ७००० अतिरिक्त लोगों को बसा दिया जाये तो गांवों की जनसँख्या ८००० से ९००० के करीब होगी. औसतन ६००० की आबादी बढ़ने से गाँव के प्राकृतिक संसाधनों पर बहुत अतिरिक्त बोझ नहीं बढेगा. गाँव के रकबे के हिसाब से किसी गाँव में ३ से ४ हज़ार तो किसी में १० हज़ार लोग भी बसाये जा सकते हैं. यह आबादी शहर के उद्योगों में काम करने वाले मजदूर, इन्जिनिअर्स, मैनेजर्स, व्यापारियों आदि की होगी जो अपने घर से औसतन ५ से ७ किमी यात्रा करके अपनी नौकरी व्यवसाय पर १५ से २० मिनट में पहुँच सकेंगे.
अगर गांवों में सब आवश्यक सुविधाएँ हों, सफाई हो, अच्छी सड़क, अच्छे स्कूल, चिकित्सा सुविधाएँ , यातायात के अच्छे साधन हों और यह सब उसके नौकरी या व्यापार की जगह के पास हो तो कोई भीड़ भाड भरे शहर में नहीं रहना चाहेगा.

इससे इन गाँवो के बाशिंदों की आय में गुणात्मक परिवर्तन होगा. उनके दूध, फल सब्जियां आदि उन्ही गांवों में बिक जायेंगे. गांवों के विकास के काम में उन्हें नौकरियां भी मिलेंगी और हम १५००० सर्वसुविधा संपन्न गाँव आदर्श गाँव बसा सकेंगे.
नमन  

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