Thursday, 31 July 2014

ईश्वर की- खुदा की रक्षा के लिए....

इस ईद पर विशेष--

एक उड़ती सी खबर थी की 
सारी कायनात का मालिक
बेघर हो गया है

तबसे
लोग लगातार
बना रहे हैं उसके लिए
लाखों की संख्या में
मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे और गिरजाघर...



लोगो को बताया गया की
सृष्टि के रचनाकार को
पड़ गई है जरुरत ज़मीन की
सो कुछ लोग उसके लिए
ज़मीन की तलाश में
उतर आये हैं सड़क पर
दुकाने तोड़ी जा रही हैं
घर जलाये जा रहे हैं
आदमी कम किये जा रहे हैं
ताकि थोड़ी सी जगह
उपलब्ध हो सके खुदा के लिए....



पहले तो अच्छा खासा था 
पर अब शायद
बहरा भी हो गया है वो
तभी तो मंदिरों और मस्जिदों पर
लगाये जा रहे हैं बड़े बड़े
लाऊडस्पीकर 

उन्हें अपनी आवाज़
उस तक पहुंचानी है....

मंदिरों की आरती अब
आरत की पुकार न होकर
युद्ध के नगाड़े की
टंकार में बदल गई है
कांप जाती है
मंदिर की नींव तक उससे
पर ईश्वर तो बहरा है....


कोई बता रहा था की
बूढा हो गया है वह
धर्म खतरे में है
अतः उसकी रक्षा का भार
उसकी संतानों ने ले लिया है
हिन्दू मुसलमान
शिया सुन्नी
ईसाई मुस्लिम
आपस में लड़ रहे हैं
कट रहे हैं-मर रहे हैं
उसकी रक्षा के लिए....

‘नमन’

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