जितना हल्का आदमी, उतने ऊँचे बोल
बजने वाले ढोल के अन्दर होता पोल.
मोदी सरकारने कैबिनेट की पहली बैठक में अपनी १० प्राथमिकताये तय की.
इनमे मोदी द्वारा चुनाओं में किये गए किसी भी वादे का समावेश नहीं है.
जैसे १- सार्वजनिक जीवन से भ्रष्टाचार ख़त्म करना २- काला धन विदेशों से वापस लाना ३- पाकिस्तान की धरती से भारत पर हो रहे आतंकवादी हमलो को रोकना और पाकिस्तान को सबक सिखाना वगैरह-वगैरह।
मोदी का दस सूत्री कार्यक्रम और उनकी प्राथमिकताएं....
१-
अधिकारियों में विश्वास निर्माण करना. २- शिक्षा,
स्वास्थ्य, पानी, बिज़ली और रास्तों का निर्माण. ३- ई टेंडर और पारदर्शिता ४- सभी
मंत्रालयों में आपसी तालमेल ५- जनता के कामों को प्राथमिकता ६- अर्थव्यवस्था में
सुधार ७- मूलभूत सुविधाएँ और विदेशी निवेश की नीतियों में परिवर्तन ८- शासकीय
योजनाओं को समय पर पूरा करना. ९- योजनाओं में निरंतरता १०- नयी सोच को प्रोत्साहन
जिससे अधिकारीयों को प्रोत्साहन मिले..
ये सब वही कार्यक्रम हैं जो कांग्रेस सरकार द्वारा चलाये जा रहे
थे. शिक्षा और स्वास्थ्य पर कांग्रेस शासन ने बाज़पेयी के बीजेपी शासन से कई गुना ज्यादा धन राशि खर्च कि. बीजेपी शासन के लगभग १लाख किलोमीटर की तुलना में कांग्रेस शासन ने ३लाख किलोमीटर से ज्यादा ग्रामीण सड़के बनायी। सन २००४ में देश में लगभग १लाख १२ हजार मेगावाट बिजली बनती थी और २०१४ आते आते हमारी बिजली की उत्पादन क्षमता दुगुनी होकर लगभग २ लाख २५ हज़ार मेगावाट हो गई ।
इससे साफ़ दिखाई देता है की मोदीजी और उनके सहयोगियों में दूरदृष्टि और इच्छा
शक्ति का अभाव है. वे कांग्रेस सरकार की अंधी नक़ल कर रहे हैं।
ॐप्रकाश(मुन्ना)पाण्डेय 'नमन'
कल्याण।
No comments:
Post a Comment