Monday, 3 March 2014

UPA और डॉ मनमोहन सिंह


अभी तक जिन शासकीय अधिकारियों ने भाजपा की राह पकड़ी है उनमे से लगभग सभी को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने स्वयं सर्वोच्च पदों के लिए चुना था। आज ये सभी पूर्व अफसर जिन्होने देश की दशा और दिशा बदलने मे प्रधानमंत्री को सलाह दी, अहम भूमिका निभाई,मनमोहन सिंह के खिलाफ बीजेपी मे शामिल हो गए।
यह दिखाता है की प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपनी अदूरदर्शिता से कितने गलत लोगों का चुनाव अपनी टीम मे किया था। ये अफसर अगर कांग्रेस की विचारधारा और मनमोहन सिंह से सहमत होते तो कभी बीजेपी मे शामिल नहीं होते। अपनी सोच मे कम्यूनल और सर्वहारा सोच से अलग सोच रखने वाली इस जमात को मनमोहन सिंह ने अपना सिपहसालार चुना तो ये गलती मनमोहन सिंह की थी। मनमोहन सिंह मेरी नज़र मे एक ऐसे अक्षम प्रशासक रहे हैं जो अपनी टीम को प्रोत्साहित नहीं कर सका। वे ऐसे नेता दिखाई पड़ते हैं जहां उनके अधिकतर सहायक उनके साथ रह कर उनके खिलाफ काम कर रहे थे।
सरकार मे सर्वोच्च पदों पर रह कर इनमे से लगभग ने सरकार के खिलाफ लगातार काम किया और कांग्रेस की पीठ मे छूरा भोंका। अगर आप इन अधिकारियों के कार्यकाल को देखें तो पाएंगे की अपने कार्यकाल मे इन्होने हमेशा अपनी पोलिटिकल लीडरशिप के खिलाफ काम किया था और यूपीए सरकार को बदनाम करने का काम किया था।
जनरल वी के सिंह, IPS किरण बेदी, गृह सचिव आर के सिंह अपने कार्यकाल मे विभिन्न कारणो से विवादित रहे हैं।
पूर्व रा प्रमुख संजीव त्रिपाठी, पेट्रोलियम सचिव आर एस पांडे , संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत के पूर्व स्थाई प्रतिनिधि हरदीप सिंघ् पुरी ये सभी कांग्रेस की विचारधारा को न मनाने वाले और RSS की कम्यूनल विचारधारा से सहमत जमात थी जो सरकारी पद का दुरुपयोग करते हुये दिल से आरएसएस के साथ थे। जिसका अब इनाम मिल रहा है।
छोटे मे कहें तो कांग्रेस की आज की हालत के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह खुद ही ज़िम्मेवार है।

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