बीजेपी और कारगिल का सच--
शेरों की तरह रन मे डकारे
जाओ, भरते हुये मैदान मे तरारे जाओ
दुश्मन न मरे तुमसे जो कोई
तो, इतना तो करो डींग ही मारे जाओ।
1-
नवंबर 1998 से अप्रेल 1999
के बीच कारगिल –द्राक्ष सेक्टर मे पाकिस्तान ने 1000 से 1200 किलोमीटर क्षेत्र पर
कब्जा कर लिया।
2-
उस समय भारतीय प्रधानमंत्री
अटलबिहारी बाजपेयी लाहौर बस यात्रा की तैयारी कर रहे थे।
3-
अक्तूबर 1998 से मार्च 1999
के बीच पाकिस्तान सेना ने कारगिल की तरफ जाने वाली सड़कों की मरम्मत की, टेलीफोन
लाईने बिछाई और भारतीय सीमा के पास 8 से 10 हेलीपैड बनाए और भारत सरकार सोती रही।
4-
20 फरवरी 1999 को जब अटलबिहारी
बाजपेयी बस लेकर लाहौर की सद्भावना यात्रा कर रहे थे तब पाकिस्तान की नार्थ लाइट
इन्फैन्ट्री के जवान अपनी विमान भेदी तोपों, राकेट लांचरों , स्टिंगर मिसाइलों और मशीनगनों के साथ कारगिल द्राक्ष सेक्टर पर कब्जा जमा
रहे थे।
5-
जब अटलबिहारी बाजपेयी लाहौर
मे बिरयानी खा रहे थे पाकिस्तान ने 50 हज़ार बर्फ मे चलने वाले जूते विभिन्न
अंतरराष्ट्रीय कंपनियों से खरीदे।
6-
RAW और IB की रिपोर्ट रक्षा मंत्रालय मे धूल खाती रही। प्रधानमंत्री ऊँघते रहे।
7-सबसे बड़ी शर्म की बात तो ये है की 4 मई 1999 को पाकिस्तानी घुसपैठ की जानकारी उन्ही मुस्लिम कश्मीरी चरवाहों ने भारत सरकार को दी जिन्हे बीजेपी के नेता पाकिस्तान भेज देने की बात करते हैं।
8- करगिल- पाकिस्तानी सैनिकों ने मई-1999 के अंतिम सप्ताह मे भारत के आधा दर्जन सैनिकों का बेरहमी से कत्ल कर दिया। 9 मई 1999 को करगिल क्षेत्र मे गोलाबारी करके सेना के 100 करोड़ के आयुध भंडार को नष्ट कर दिया । 27 मई 1999 को दो मिग -27 लड़ाकू जहाजों को मार गिराया और पैराशूट से कूदे कमांडर आहूजा की आंखे निकाल कर गला काट कर उनकी हत्या कर दी। और 11जून 1999 को तत्कालीन विदेशमंत्री जसवंत सिंह ने पाकिस्तानी विदेशमंत्री का दिल्ली मे हार और फूल के साथ स्वागत किया।
(मेजर जनरल शशिकांत पित्रे
के 19 जनवरी 2014 के लोकमत के मंथन परिपत्र मे लिखे गए लेख से साभार )
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