Saturday, 26 October 2013

मज़ाक मेरा उडाओ





तोहमते मुझपे लगाओ तो कोई बात बने
मजाक मेरा उड़ाओ तो कोई बात बने।

मैं बे-शऊर हूँ चेहरा है दागदार मेरा
आईना मुझको दिखाओ तो कोई बात बने।

मेरा घर भी तुम्हारे जैसा ही शीशे का है
तुम हमपे पत्थर उठाओ तो कोई बात बने।

झूठ को सच बताने मे महारत है तुम्हें
हमे सूली पे चढ़ाओ तो कोई बात बने।

हमे आदत है शहादत की जान देने की
हमपे हथियार उठाओ तो कोई बात बने।

मेरे भाई हैं हिन्दू,मुस्लिम,सीख,ईसाई सभी  
गले तुम सबको लगाओ तो कोई बात बने।

बहुत उगा ली नफरत की लहलहाती फसल
प्यार की फसल उगाओ तो कोई बात बने।

हज़ार बार तुमने हमको आजमाया है नमन
एक बार खुद को आजमाओ तो कोई बात बने।
नमन  



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