धार्मिक होना अच्छा है, धर्मांध होना नहीं.....
मेरे प्रिय भांजे श्री गंगेश मिश्रा
द्वारा उपस्थित किए गए कुछ प्रश्नो के उत्तर देते हुये मुझे खुशी हो रही है....
1- ....अत्याचारियों और पापियों के आगे बिना हथियार उठाये अहिंसा
से लड़ना सही है तो क्यों भारत देश में पुलिस और फ़ौज है हर आक्रमणकारी के आगे
अहिंसा से जंग को जीत ही जा सकती है.जो लोग गाँधी विचार की बात करते है तो उनके लिए भगत सिंह,आजाद उधम सिंह जैसे लोग
आंतकवादी होने चाहिए जिसे खुद बापू ने कहा भी था ये लोग हिंसा के रास्ते पर ले
जाकर देश को बर्बाद कर रहे तो क्यों इन उग्र क्रांतिकारियों को सम्मान मिलता है
भारत में.बापू जब भारत के सर्वोच्च्य व बेहद लोक प्रिय जन नेता थे
क्यों नही मुसलमान भाइयो को एक साथ नही रख पाए और बटवारे की हिंसा में लाखो लोगो
की जाने कैसे चली गई.नाथूराम गोडसे ने बापू की हत्या की तो क्यों कि आखिर वो कौन
था किस वजह से हत्या की. उसको कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई. नाथराम गोडसे ने कोर्ट
के सामने गाँधी जी को मारने के पीछे १५० कारण बताये. भारत सरकार ने क्यों नाथूराम
के बयान को प्रतिबन्ध लगा दिया ऐसा क्या था बयान में जिससे बापू के छवि पर बुरा
प्रभाव पड़ता है.मुझे कोई गाँधी विचार धारा
के लोग मेरे उपरोक्त प्रश्नों को संतुष्ट कर देता है तो सालो की जिज्ञानसा समाप्त
हो जाएगी और मै उसका आभारी रहूँगा1- क्या ब्रिटेन में सत्ता परिवर्तन नही होता
और लेबर पार्टी नही आती, तो क्या भारत
को आजादी मिल पाती बापू के आन्दोलन से...
उत्तर- भारत
को कई मामलों मे स्वायत्तता देने का आश्वासन ब्रिटिश शासन ने द्वितीय विश्व युद्ध के
पहले ही दिया था। परंतु कांग्रेस लगातार पूर्ण स्वतन्त्रता की मांग कर रही थी। द्वितीय
विश्वयुदध के समय ब्रिटिश शासन को पता चल गया की इतना बड़े साम्राज्य की सुरक्षा करने
मे वे असमर्थ हैं। असहयोग आंदोलन और विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार से भारत अब उनके लिए
सोने का अंडा देने वाली चिड़िया नहीं रह गया था। इसलिए भारत को स्वतन्त्रता दे देने
मे ही उन्होने अपनी भलाई समझी। ब्रिटेन मे कोई भी सत्ता होती ,भारत को
स्वतन्त्रता मिलनी तय थी।
2- अत्याचारियों और पापियों के आगे बिना हथियार
उठाये अहिंसा से लड़ना सही है तो क्यों भारत देश में पुलिस और फ़ौज है हर आक्रमणकारी
के आगे अहिंसा से जंग को जीत ही जा सकती है.
उत्तर- बापू
ने कहीं ये नहीं कहा है की सेना या पुलिस की जरूरत नहीं है। अहिंसा का अर्थ कायरता
नहीं है। देश की रक्षा के लिए सेना के इस्तेमाल को बापू ने कभी गलत नहीं ठहराया।
3- जो लोग गाँधी
विचार की बात करते है तो उनके लिए भगत सिंह,आजाद उधम सिंह
जैसे लोग आंतकवादी होने चाहिए जिसे खुद बापू ने कहा भी था ये लोग हिंसा के रास्ते पर
ले जाकर देश को बर्बाद कर रहे तो क्यों इन उग्र क्रांतिकारियों को सम्मान मिलता है
भारत में।
उत्तर- पहली
बात ये की आप सरदार भगत सिंह या उधम सिंह को आतंकवादी नहीं कह सकते। उन्होने किसी निरीह
या निरपराध व्यक्ति की जान नहीं ली। हमारे स्वतन्त्रता संग्राम के इतिहास मे किसी ने
निरीह और निरपराध अंग्रेज़ को नहीं मारा। एकाधा बार जब गलती से कोई निरपराध मारा गया
तो इन वीरों ने उसका प्रायश्चित किया। मैं इन्हे इसी लिए इन्हे वीर कह कर संबोधित कर
रहा हूँ।
ये आज के
आतंकवादियों जैसे कायर नहीं थे जो निरपराधों की हत्या कर रहे हैं।
बापू ने
ये कहीं नहीं कहा था की ये लोग भारत को बर्बाद कर रहे हैं। बापू सिर्फ इनसे इतना ही
कहते रहे की अंग्रेजों की हिंसा का जवाब हिंसा नहीं हो सकती। अपने दुश्मन की ताकत और
कमजोरी समझ कर ही उससे आप युद्ध मे जीत सकते हो। बापू ने अपने दक्षिण अफ्रीका प्रवास
मे जान लिया था की अंग्रेज़ अपनी सभी साम्राज्यवादी गतिविधियों के बावजूद सही मामले
मे डेमोक्रेट हैं। बापू को पता था की दुनिया की सर्वश्रेष्ठ सेना रखने वाले ब्रिटेन
को हथियारों से नहीं हराया जा सकता। अतः बापू ने हथियार के रूप मे असहयोग का उपयोग
उनके खिलाफ किया। अंग्रेजों के लिए बिना भारतीय सहयोग के भारत पर राज्य करना असंभव
हो गया।
4- बापू जब भारत
के सर्वोच्च्य व बेहद लोक प्रिय जन नेता थे क्यों नही मुसलमान भाइयो को एक साथ नही
रख पाए और बटवारे की हिंसा में लाखो लोगो की जाने कैसे चली गई.
उत्तर- एक
तरफ जहां बापू देश के हिन्दू और मुसलमानो को साथ लेकर चल रहे थे, वहीं दूसरी
तरफ अंग्रेजों ने भारतीय हिन्दू और मुसलमानो मे फूट डालने के लिए मुस्लिम लीग और हिन्दू
महासभा का उपयोग क्या। एक तरफ मुस्लिम लीग के अलीगढ़ अधिवेसन मे जिन्ना ने कहा की, गांधी हिंदुओं
के नेता हैं और भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाना चाहते हैं, वहीं दूसरी
तरफ हिन्दू महासभा के अहमदाबाद अधिवेसन मे सावरकर द्विराष्ट्रवाद के सिद्धान्त का समर्थन
करते हुये कह रहे थे की स्वतंत्र भारत मे मुसलमान दूसरे दर्जे के नागरिक होंगे। उन्हे
मताधिकार नहीं होगा।जो मुसलमान हिन्दुओ की आधीनता स्वीकार नहीं करेंगे उन्हे देश छोड़ना
होगा। वगैरह –वगैरह। ऐसे मे कांग्रेस को दो
मोर्चों पर जूझना पड रहा था, एक तरफ अंग्रेज़ो से और दूसरी तरफ मुस्लिम लीग
और हिन्दू महासभा से। आरएसएस के लोग बापू पर
मुस्लिम समर्थक होने का आरोप लगा रहे थे। मुस्लिम लीग, हिन्दू महासभा, और आरएसएस
के बोये गए विष ने देश विभाजन को मूर्त रूप दिया।
आज भी आरएसएस
सिर्फ हमारे समाज मे धर्मांधता का विष बोने का प्रयत्न कर रही है।
5-नाथूराम गोडसे ने बापू की हत्या की तो क्यों
कि आखिर वो कौन था किस वजह से हत्या की. उसको कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई. नाथराम
गोडसे ने कोर्ट के सामने गाँधी जी को मारने के पीछे १५० कारण बताये. भारत सरकार ने
क्यों नाथूराम के बयान को प्रतिबन्ध लगा दिया ऐसा क्या था बयान में जिससे बापू के छवि
पर बुरा प्रभाव पड़ता है.
उत्तर- धर्मांधता
का जो विष हिन्दू महासभा और आरएसएस लगभग 3 दशकों से बो रहे थे, महात्मा
की हत्या उसकी परिणति थी। हर बुरा काम करने वाला अपने काम का कोई न कोई बहाना देता
है, वही नाथू
राम और उनके सहयोगी भी कर रहे थे...
आज जो मुस्लिम
उग्रवादी पूरी दुनिया मे जो आतंकवाद फैला रहे हैं वे भी इन हत्याओ के पीछे 1000कारण
बता कर उन्हे उचित ठहराने का प्रयत्न करते हैं।
6 - मुझे कोई गाँधी
विचार धारा के लोग मेरे उपरोक्त प्रश्नों को संतुष्ट कर देता है तो सालो की जिज्ञानसा
समाप्त हो जाएगी और मै उसका आभारी रहूँगा
उत्तर- गंगेश
जी, आपके प्रश्नो
के उत्तर आप बाहर खोज रहे हो । इतिहास को तर्क की कसौटी पर कस कर देखिये , सब उत्तर
आपको मिल जाएंगे। सब उत्तर आपके पास हैं।
आपका, ‘नमन’
No comments:
Post a Comment