Sunday 29 September 2013

अथ नागपुर महात्म्य!


अथ नागपुर महात्म्य!       

बीजेपी है आरएसएस का भोंपू ......

बीजेपी शुरू से आरएसएस का मुखौटा रही है। बीजेपी का अध्यक्ष कौन होगा यह नागपुर मे तय होता है। बीजेपी का प्रधानमंत्री का उम्मीदवार नागपुर मे तय होता है। बीजेपी की नीतियाँ नागपुर मे तय होती हैं। बीजेपी की दशा और दिशा नागपुर मे तय होती है। नीति और नियति नागपुर मे तय होती हैं। बीजेपी का कोई नेता नागपुर को साष्टांग प्रणाम किए बगैर बड़ा नहीं हो सकता। जिन पर नागपुर ने कुदृष्टि डाली उसे अर्श से फर्श पर आते देर नहीं लगती। आरएसएस एक ऐसा संगठन है जो बिना कोई जिम्मेवारी लिए रिमोट से बीजेपी को चलता है। जो आरएसएस की निगाह मे चढ़ा वो बीजेपी मे बढ़ा और जो आरएसएस की निगाह मे गिरा वो बीजेपी मे औंधे मुंह गिरा। बीजेपी के बड़े नेता प्रातः नागपुर की तरफ मुंह करके प्रणाम करने के बाद ही अपने दिन की शुरुवात करते हैं।
कांग्रेस का विरोध करने, उसके खिलाफ अफवाह फैलाने का काम Rumor Spreading Society अपनी स्थापना से आज तक करती रही है। ये मुस्लिम लीग के जुड़वे भाई हैं।

कांग्रेस वह मंदिर है, जिसने देश को आज़ादी दिलाई। ये वही मंदिर है जिसके सेवकों ने त्याग और बलिदान की परंपरा खड़ी की। ये वही मंदिर है जहां से देश भक्त देश के लिए मर मिटने की प्रेरणा लेता था। कुछ लोगों को यह कुछ और नज़र आए तो यह उनकी आँखों का दोष है, उनकी जहनीयत का दोष है, उनकी कम अक्ली है। जो लोग महात्मा गांधी, नेहरू और कांग्रेस पर टीका करते हैं, वे बताए की RSS और हिन्दू महा सभा के लोगों ने क्यों स्वतन्त्रता आंदोलन मे भाग नहीं लिया, क्यों अंग्रेजों के खिलाफ नहीं लड़े, क्यों जेल नहीं गए? क्यों ये लोग अंग्रेजों की मुखबिरी करते रहे?

कांग्रेस पर देश के विभाजन का आरोप लगाने वालों से मेरा प्रश्न है, हिन्दू महासभा के अहमदाबाद अधिवेसन मे द्विराष्ट्रवाद के सिद्धान्त का प्रतिपादन किसने किया था? देश के विभाजन का जितना पाप मोहम्मद अली जिन्ना पर है, मुस्लिम लीग पर है, उतना ही आरएसएस पर है।

कश्मीर की चर्चा करने वालों से मैं पूंछना चाहूँगा , कहाँ थे आरएसएस और हिन्दू महासभा के नेता और कार्यकर्ता जब 1947 मे कश्मीर का शेर शेख अब्दुल्ला हिंदुस्तानी फौजों के कंधे से कंधा मिला कर पाकिस्तानी क़बायलियों से लड़ रहा था? कितने आरएसएस के लोगों ने भाग लिया 1947-48 की कश्मीर की जंग मे।
आज अपनी विकास के भ्रम की गाड़ी पर सवार बीजेपी के एक नेता बिहारियों और उत्तर प्रदेश वालों को अक्ल सिखाते नज़र आते है। यूपी वालों को अक्ल सिखाने के लिए गुजरात से अमित शाह को भेजा गया है।

ये बुद्ध और महावीर की धरती को जो पूरे विश्व को ज्ञान देती रही है उसे ज्ञान सिखाएँगे। जहां से (चंपारण) महात्मा गांधी ने अपने आंदोलनो की शुरुवात की उसे ज्ञान देंगे। भारतीय संविधान सभा के अध्यक्ष और प्रकांड विद्वान डॉ राजेंद्र प्रसाद की भूमि को ज्ञान देंगे। राम और कृष्ण की भूमि को ज्ञान देंगे। कबीर, तुलसी, सूरदास और रसखान की नगरी को ज्ञान देंगे! ये ज्ञान की नगरी काशी को ज्ञान देंगे, श्रद्धा और ज्ञान की पवित्र भूमि प्रयाग को ज्ञान देंगे। अध्यात्म के केंद्र अयोध्या को ज्ञान देंगे।

ये सिर्फ सांप्रदायिकता, झूँठ, अज्ञान और अंधेरे का प्रसार कर सकते है, नफरत का जहर बाँट सकते हैं।    

मेरे एक मित्र ने कहा,ऐ सांप तुझमे इतना जहर कैसे, कहीं तू नागपुर(नाग-पुर) तो नहीं गया था?  
नमन

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