Tuesday 17 September 2013

बीजेपी का असली चेहरा

बीजेपी का असली चेहरा- ----               


India T.V. के ‘आपकी अदालत’ प्रोग्राम मे आज 7 सितंबर 2013 को अंततः विश्व हिन्दू परिषद के स्वयंभू नेता अशोक सिंघलजी ने स्वीकार कर ही लिया की अयोध्या मे तोड़ी गयी इमारत ‘राम मंदिर’ थी, और राम लला  को पिछले 2 दशकों से अधिक समय  से  घर से बे-घर कर उन्हें वनवास दे दिया गया है।

हिंदी में मंदिर का अर्थ ‘घर’ होता है. विद्या मंदिर- विद्या का घर, समाज मंदिर- समाज का घर आदि इसके अनेक उदाहरण है। जब हनुमान सीता मां को लंका में खोज रहे हैं, उसका वर्णन करते हुए तुलसीदास ज़ी ने रामचरितमानस मे लिखा------ 
'मंदिर मंदिर प्रति करि सोधा, देखे जंह- तंह अगनित जोधा। 
गयऊ दसानन मंदिर मांही, अति विचित्र कहि जात सो नांही। 
सयन किए कपि देखा तेही, मंदिर महु न दीखि बैदेही'। इत्यादि इत्यादि। 

अब लंका में कहाँ  इतने मंदिर थे जिनमे  योद्धा भरे पड़े थे ? उन्होंने रावण के महल को, रावण के घर को ,  रावण का मंदिर कहा है, जहां हनुमान जी ने रावण को सोते देखा था। अब रावण मंदिर मे तो सोएगा नहीं। अयोध्या के  जिस  भवन /घर में राम -सीता क़ी मूर्ति थी, जहां राम , सीता और लक्ष्मण  सहित बिराजमान थे , वह सिर्फ और सिर्फ राम लला  का घर था उनका मंदिर था । उनकी पूजा २४ घंटे हो रही थी, उनकी आरती हो रही थी, पूरी दुनिया के राम भक्त  राम का दर्शन करने आ रहे थे । अयोध्या का मुसलमान अपने रिक्शा , तांगे , टैक्सी मे राम भक्तों को दर्शन के लिए लाता था। अयोध्या का मुसलमान मंदिर के आस-पास  न केवल रामायण , गीता  और वेदों की पुस्तकें  और हिन्दू  देवी देवताओं की मूर्ति बेचता था, बल्कि पूजा की सामिग्री और फूल माला  बेचने वाली अधिकांश दुकाने  मुसलमानो की ही थी। राम मंदिर अयोध्या के मूसलमानो  की रोजी -रोटी का जरिया था।  

 किसी मुसलमान ने १९४७ से आज तक जहाँ नमाज़ नहीं पढ़ी । अवध का मुसलमान रामलीला  न केवल खुशी -खुशी देखता था , बल्कि राम लीला मे भाग भी लेता था। राम लला  की झाँकियाँ बनाता था। 
 उस  राम  लला के  मंदिर को  तोड़ कर राम लला को घर से बेघर करने का पाप बी.जे.पी. के सिर पर है, RSS के सिर पर है, विश्व हिन्दू परिषद के सिर पर है।
इन लोंगो ने न केवल राम का मंदिर तोडा, बल्कि सत्ता के लोभ मे पूरे हिन्दुस्तान को घृणा और दंगों क़ी आग में झोंक दिया। वही इतिहास फिर दोहराने की फिराक मे ये लोग फिर हैं, पर इन्हे पता नहीं की ‘काठ की हांडी’ दुबारा नहीं चढ़ती। भगवान राम इन्हे सद्बुद्धि दें..... ! राष्ट्र पिता महात्मा गांधी के शब्दों मे....
'रघुपति राघव राजा राम, पतित पावन सीता राम ....
ईश्वर अल्ला तेरो नाम, सबको सम्मति दे भगवान।'  


'नमन' 

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