Tuesday, 17 September 2013

मुजफ्फर नगर की चीखें




मुजफ्फर नगर की चीखें
जब तक प्रशासकीय लकवे के शिकार
लखनऊ तक पहुँची
निर्दयी राजनीतिज्ञों के सीनो पर
टंग चुके थे 40 से अधिक लाल मेडल
मोहब्बत नगर बन गया था 
मोहब्बत की क़बरगाह....
राजनेताओं की बद-नीयती का शिकार
निरीह जनता की नियति में
क्या सिर्फ एक संख्या होना लिखा है....?
‘ईश्वर- अल्लाह तेरो नाम’
गाने वाला महात्मा गांधी का भारत
‘तेरा अल्लाह- मेरे राम’
अचानक ही नहीं गाने लगता...
कहीं सुदूर बनाई जाती है ये धुन
रचा जाता है विध्वंस गीत
और फिर इसे गाया जाता है
पहले से तैयार किए गए
घृणा और नफरत के मंचों से
राजकीय भाडों द्वारा ....
निरीहों के खून से रक्तरंजित चेहरे लिए
राजनीति के का-पुरुष
करते हैं टीवी पर अट्टहास....
घरों में मनाया जाता है मातम...!
कवि फिर भी कहता है
वंदे मातरम –वंदे मातरम !!!
‘नमन'


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