बीजेपी और कोलगेट का सच.....
8वीं पंचवर्षीय योजना काल मे कुल 36000 मेगावाट की बिजली की कमी को देखते हुये, केन्द्र और राज्य सरकारों की बिजली कंपनियों के साथ–साथ निजी क्षेत्र की बिजली कंपनियों को इस शर्त पर कोयला खाने देने की बात हुयी की ये कंपनियाँ इस कोयले का उपयोग बिजली उत्पादन करने के लिए करेंगी। इसी परिप्रेक्ष मे कोयला खानों का आबंटन जिस राज्य मे कोयला खान है, उस राज्य की राज्य सरकार की सहमति से हुआ।
कुछ सच.....
• कोयले की खदानों के कुल 85 आबंटन 1993 से 2009 तक हुये हैं। जिनकी जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी मे सीबीआई कर रही है।
• कुल 85 आबंटनों मे से 1993 से 2003 के बीच 21 आबंटन, 2003 से 2005 के बीच 27 कोयला खदानों के आबंटन हुये।
• इसके अलावा अखबारों मे विज्ञापन देकर 2005-2006 मे 37 कोयला खदानों के आबंटन हुये है।
• इससे साफ प्रकट होता है की कोयले की खदानों के लगभग आधे आबंटन केंद्र की बीजेपी सरकार के जमाने मे हुये हैं।
• डॉ मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार के समय हुये कोयला खदान आबंटनों मे काफी संख्या बीजेपी और उनकी सहयोगी पार्टियों द्वारा शासित गुजरात, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, ओड़ीसा जैसे राज्यों की सरकारी और अर्ध सरकारी कंपनियों को हुआ है।
• 1993 से 2004 तक किए गए कोयले की खदानों के आबंटन बहुत ही कम राशियों पर हुये, पर उनपर कोई चर्चा नहीं होती।
• कांग्रेस शासन मे उन्ही नियमों और शर्तों पर उन सभी राज्यों के चीफ़ सेक्रेटरियों की सहमति से जिनमे कोयले की खाने हैं, और जिनमे बीजेपी शासित राज्यों के मुख्य सचिव भी शामिल थे, कोयले की खानों का आबंटन हुआ। CAG की एक रिपोर्ट आई की उनका अनुमान है की अगर इन कोयला खदानों मे उत्पादन शुरू हुआ तो केंद्र सरकार को लाखों करोड़ का आर्थिक नुकसान होगा।
• कांग्रेस शासन मे जिन कोयला खदानों का आबंटन हुआ है, उनमे सिर्फ 1 कोयला खदान से कोयला निकाला जा रहा है। उसको छोड़ कर किसी भी खान से बिना 1 किलो कोयला निकले लाखों करोड़ का घोटाला कैसे हो सकता है ये मेरी समझ के बाहर है।
• जो बीजेपी शोर मचा रही है उसके अपने नेताओं और मुख्यमंत्रियों के नजदीकी लोगों को कोयला खाने आबंटित हुयी हैं।
• CAG की रिपोर्ट और बीजेपी के आरोपों के चलते नयी खानो से कोयले का उत्पादन शुरू नहीं हो पाया और बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियों को विदेशों से कोयला मंगाना पड़ रहा है। जिससे कोयले के आयात मे अभूतपूर्व वृद्धि हुयी है। जिसका हमारे विदेशी मुद्रा भंडार पर पड़ा है। डालर के मुक़ाबले रु के भाव गिरने का यह भी एक कारण है।
अब आप ही तय करें बीजेपी का असली चेहरा क्या है?
'नमन'
28वीं पंचवर्षीय योजना काल मे कुल 36000 मेगावाट की बिजली की कमी को देखते हुये, केन्द्र और राज्य सरकारों की बिजली कंपनियों के साथ–साथ निजी क्षेत्र की बिजली कंपनियों को इस शर्त पर कोयला खाने देने की बात हुयी की ये कंपनियाँ इस कोयले का उपयोग बिजली उत्पादन करने के लिए करेंगी। इसी परिप्रेक्ष मे कोयला खानों का आबंटन जिस राज्य मे कोयला खान है, उस राज्य की राज्य सरकार की सहमति से हुआ।
कुछ सच.....
• कोयले की खदानों के कुल 85 आबंटन 1993 से 2009 तक हुये हैं। जिनकी जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी मे सीबीआई कर रही है।
• कुल 85 आबंटनों मे से 1993 से 2003 के बीच 21 आबंटन, 2003 से 2005 के बीच 27 कोयला खदानों के आबंटन हुये।
• इसके अलावा अखबारों मे विज्ञापन देकर 2005-2006 मे 37 कोयला खदानों के आबंटन हुये है।
• इससे साफ प्रकट होता है की कोयले की खदानों के लगभग आधे आबंटन केंद्र की बीजेपी सरकार के जमाने मे हुये हैं।
• डॉ मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार के समय हुये कोयला खदान आबंटनों मे काफी संख्या बीजेपी और उनकी सहयोगी पार्टियों द्वारा शासित गुजरात, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, ओड़ीसा जैसे राज्यों की सरकारी और अर्ध सरकारी कंपनियों को हुआ है।
• 1993 से 2004 तक किए गए कोयले की खदानों के आबंटन बहुत ही कम राशियों पर हुये, पर उनपर कोई चर्चा नहीं होती।
• कांग्रेस शासन मे उन्ही नियमों और शर्तों पर उन सभी राज्यों के चीफ़ सेक्रेटरियों की सहमति से जिनमे कोयले की खाने हैं, और जिनमे बीजेपी शासित राज्यों के मुख्य सचिव भी शामिल थे, कोयले की खानों का आबंटन हुआ। CAG की एक रिपोर्ट आई की उनका अनुमान है की अगर इन कोयला खदानों मे उत्पादन शुरू हुआ तो केंद्र सरकार को लाखों करोड़ का आर्थिक नुकसान होगा।
• कांग्रेस शासन मे जिन कोयला खदानों का आबंटन हुआ है, उनमे सिर्फ 1 कोयला खदान से कोयला निकाला जा रहा है। उसको छोड़ कर किसी भी खान से बिना 1 किलो कोयला निकले लाखों करोड़ का घोटाला कैसे हो सकता है ये मेरी समझ के बाहर है।
• जो बीजेपी शोर मचा रही है उसके अपने नेताओं और मुख्यमंत्रियों के नजदीकी लोगों को कोयला खाने आबंटित हुयी हैं।
• CAG की रिपोर्ट और बीजेपी के आरोपों के चलते नयी खानो से कोयले का उत्पादन शुरू नहीं हो पाया और बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियों को विदेशों से कोयला मंगाना पड़ रहा है। जिससे कोयले के आयात मे अभूतपूर्व वृद्धि हुयी है। जिसका हमारे विदेशी मुद्रा भंडार पर पड़ा है। डालर के मुक़ाबले रु के भाव गिरने का यह भी एक कारण है।
अब आप ही तय करें बीजेपी का असली चेहरा क्या है?
'नमन'
हो सकता है भाजपा के राज में भी गडबडी हुयी हो और अगर हुयी है तो जांच में सामनें आ जायेगी और भाजपा सत्ता में है नहीं इसलिए जांच को किसी भी तरह से भाजपा प्रभावित कर नहीं सकती ! और वैसे भी भाजपा नें जांच का कभी भी कोई विरोध नहीं किया है इसलिए जनमानस में भाजपा को लेकर इस तरह की धारणा नहीं है कि उसनें कोई गडबडी की है ! दूसरी तरफ सत्ता पर काबिज कांग्रेस की बात करें तो उसनें शुरू से जांच से बचनें की कोशिश की ! आपनें खुद अपनें लेख में लिखा है जांच सुप्रीम कोर्ट कि निगरानी में हो रही है लेकिन आपनें यह नहीं बताया कि ऐसी नौबत क्यों आई जिसके कारण सुप्रीम कोर्ट को जांच अपनें हाथ में लेनी पड़ी ! उसका कारण यही था कि जांच के नाम पर सरकार कोर्ट को गुमराह कर रही थी और अब भी हाल देख लीजिए सरकार सीबीआई को कागजात मुहैया नहीं करवा रही है और फाइलें तक गायब करवा दी !
ReplyDeleteGoyal Energy Solution (GES) is a leading name in the coal trading, coal mines, steel grade coal in north east India.
ReplyDeleteAssam Coal