Wednesday, 18 September 2013

बीजेपी का विकास विरोधी चेहरा


बीजेपी का विकास विरोधी चेहरा--- 


• 1980 के दशक में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी भारतीय टेलीफोन क्रांति के जनक सैम पित्रोदा को विदेश से भारत लाये और सैम पित्रोदा ने कहा की कुछ वर्षों मे मैं हिंदुस्तान के गाँव -गाँव तक टेलीफोन पहुंचा दूँगा तो बीजेपी के नेताओं ने न सिर्फ सैम पित्रोदा बल्कि राजीव गांधी का भी मज़ाक उड़ाया था। (राजीव गांधी की दूरदृष्टि से आज 80 करोड़ से अधिक लोग फोन का उपयोग कर रहे हैं)

• 1980 के दशक में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कंप्यूटर क्रांति और देश को 21वी सदी मे ले जाने की बात की तो बीजेपी के नेताओं ने संसद मे और बाहर इसका ज़म कर विरोध किया की इससे नौकरियाँ खत्म हो जाएंगी। (यह राजीव गांधी की दूरदृष्टि ही थी की आज इस क्षेत्र मे सबसे अधिक नौकरियाँ नौजवानो को मिली)

• महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र के रत्नागिरी जिले मे जब एनरॉन बिजली परियोजना लगाई जाने लगी तो बीजेपी के नेताओं ने इसका विरोध किया और दुष्प्रचार किया की इस परियोजना से इस क्षेत्र की फसलें खराब हो जाएंगी, आम के बाग नष्ट हो जाएंगे, इत्यादि- इत्यादि। बाद मे 1995 मे शासन मे आने पर बीजेपी-शिवसेना सरकार ने यह परियोजना शुरू करने के लिए खुद हरी झंडी दी। (इस परयोजना मे देरी की वजह से महाराष्ट्र को लगभग 10 सालों तक न केवल बिजली संकट से गुजरना पड़ा, बल्कि विदेशी निवेशकों ने महाराष्ट्र मे निवेश करने मे अपनी रुचि कम कर दी, जिसका असर महाराष्ट्र के औद्योगिक विकास पर पड़ा)

• बोफोर्स तोप सौदे मे 64 करोड़ के भ्रष्टाचार को मुद्दा बना कर बीजेपी की सहयोगी जनता पार्टी 1989 मे सत्ता मे आई। उसके बाद सर्व श्री वी.पी.सिंह, चंद्रशेखर, देवेगौड़ा, गुजराल और अटलबिहारी बाजपेयी प्रधानमंत्री बने, पर इनमे से किसी ने देश की सुरक्षा पर ध्यान नहीं दिया। यहाँ तक की कारगिल घुसपैठ के समय भारतीय सैनिकों के पास बर्फ पर चलने के लिए जूते तक नहीं थे। बोफोर्स के बाद लंबी दूरी तक मार करने वाली कोई तोप नहीं खरीदी गयी। कारगिल सेक्टर मे यही बोफोर्स तोपें काम मे आई और सैनिकों ने राजीव गांधी ज़िंदाबाद के नारे लगाए। कारगिल घुसपैठ के समय सुरक्षा तैयारी की हालत इतनी खराब थी की एक तोप बिगड़ने पर दूसरी तोप के कलपुर्ज़े निकाल कर सेना ने उसमे लगाए और बमबारी की। (बीजेपी हमेशा से विकास विरोधी पार्टी रही है)

• बीजेपी ने 2005 मे किया अमेरिकी अणु ऊर्जा समझौते का विरोध। आज जब पूरा देश तेजी से विकास कर रहा है, हमारी बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए परमाणु बिजलीघर सबसे सस्ता विकल्प हैं। परंतु बीजेपी ने इस समझौते का विरोध करने के लिए एड़ी- चोटी का ज़ोर लगा दिया। 2005 मे परमाणु समझौता होने के बाद यूरेनियम की उपलब्धता से हमारे परमाणु बिजलीघरों की क्षमता मे गुणात्मक वृद्धि हुयी है। (बीजेपी ने हमेशा किया है देश के आर्थिक विकास का विरोध)
यह सूची बहुत लंबी है, बाकी फिर कभी.......
‘नमन’
क्रमशः

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