सियासत
जहां कुछ लोग अपने घर महल जैसे बनाते हैं
वहीं कुछ दूर बच्चे धूप मे बिस्तर लगाते हैं।
जिनका हक सियासतदा सदन मे गिरवी रख आए
वही
लोग उनकी खातिर आसमान सर पर उठाते हैं।
अगर ये अपनी पे आयें तो सल्तनतें बदल जाएँ
मगर ये
लोग सीधे हैं उन्हे सिर पर बिठाते हैं।
हैं
उनके खून से जिन लोगों के हाथ रंगे हुये
उन्हे
अपना समझ कर
वो गले अपने लगाते हैं।
सियासत
आदमी को आदमी रहने नहीं देती
ये लोग
इंसान को हिन्दू- मुसलमान बताते है।
'नमन'
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