…….प्रेम
.......
प्रेम की अंतहीन यात्रा मे /
मंज़िल नहीं मिलती /
आते है सिर्फ पड़ाव /
सुख के - दुख के /
मिलन और
विरह के /
मुस्कान और
आंसुओं के /
मन /
कभी गाता है गीत मिलन के /
तो कभी वियोग के /
कभी आनंद और
कभी पीड़ा के /
इन्ही गीतों के लिए /
आनंद के लिए /
दर्द के लिए /
प्रेम तुम आओ /
स्वागत है तुम्हारा /
स्वागत है दर्द का /
स्वागत है विरह और पीड़ा का/
परंतु आओ /
प्रेम तुम आओ /
स्वागत है
तुम्हारा .....
'नमन'
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