BATKAHI
कहा कहा फिर फिर कहा, लेकिन कहा न जाय| जब भी कहा कुछ अनकहा, पीड़ा बरनि न जाय||
Tuesday 30 April 2013
ISHQ
दर्द की इंतिहा हो गई
बा-वफ़ा,बेवफा हो गई।
टूट कर हमने चाहा जिसे
वो ही हमसे खफा हो गई।
जबसे उससे बिछुड़ना हुआ
सब वफायें ज़फ़ा हो गई।
जो गुनाहगार थी प्यार की
इश्क का फ़लसफा
हो गई।
झूठी तोहमत वो मुझपे लगा
ज़िन्दगी से दफा हो गई। 'नमन'
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