काश तुम
पैदा न होकर
प्रकट हो सकती
तो मैं कामना करता
अपने ह्रदय में
तुम्हारे प्राकट्य की ....
तुम
मेरे ह्रदय में गाती गीत
और मैं
गुनगुनाता उन्हें
सारी उम्र .....
पर तुमने
किसी का कहना मानना
सीखा ही कहाँ है ...
परम विद्रोही तुम
पैदा हो गयी कहीं
फिर बड़ी होकर
चुन लिया किसी और को
और हम
तकते रह गए ...
खैर, जब तुम
पैदा हो ही गयी हो
इस अजीब निष्टुर दुनियां में
तो तुम्हे
जन्म दिन की
शुभकामनायें देने का ...
तुम्हे अनंत वर्षों तक
चिर -जवान रहने की
झूठी तसल्ली देने का ...
गुरुतर भार भी हमें
उठाना ही पड़ेगा ...
अतः
प्रेषित करता हूँ तुम्हें
जन्म दिन की ढेर सारी शुभकामनाये ..!
डाक खानों का भरोसा नहीं है मुझे
ये हमेशा सन्देश देर से पहुंचाते है
इसलिए आज ही
प्रेषित कर रहा हूँ अपनी भावनाएं
जल्दी मिल जाये तो
लिफाफा पहले नहीं
जन्म दिन पर ही खोलना
देर से मिले तो मुझे नहीं
डाकिये को दोष देना ...
तुम्हारा ....
'नमन'
No comments:
Post a Comment