Tuesday, 19 February 2013

तेरी चाहत , तेरी बातें और तेरी सादगी


भले इस  एक दीपक से अँधेरा कम नहीं होगा 
मगर ये दीप तम का कभी भी हमदम नहीं होगा। 'नमन'


मैं इन तनहाईयों में भी कभी तनहा नहीं होता 
तुम्हारी याद न हो, ऐसा एक लम्हा नहीं होता। 'नमन'

जिक्र तेरा जब भी आया हादसे याद आ गए 
बेबसी और सब्र के प्याले जो तुम छलका गए।
तेरी चाहत , तेरी बातें और  तेरी सादगी 
जब भी आया याद तू, साँसे मेरी महका गए।'नमन'


इश्क वालों को हुश्न अँधा बना देता है 
वक्त पड़ने पे ये बेख़ौफ़ दगा देता है।
वैसे ही वो है जवानी का उफनता दरिया  
उस पे घंटो वो सज़ने में लगा देता है। 'नमन'

हुश्न वालों से दिल लगाते है

पत्थरों को खुदा बनाते है।

बे-वफ़ा में तलाशतें हैं वफ़ा 

दूब पत्थर पे हम उगाते हैं। 'नमन'



बेअदब, गुस्ताख हैं, मगरूर हैं हम 
इश्क वालों में मगर मशहूर हैं हम
वो हमें चाहे  भुला दें एक  पल में 
उनकी चाहत के नशे में चूर हैं हम।'नमन'


ऑंखें, चेहरा, लब और जुल्फें सब क़यामत ढा रहे 
आज  उसके रु-बरु  हूँ, दिल  रहे या ना रहे।     'नमन'

दिल  ये कमबख्त बगावत पे उतर आता है 
बिना आहट कोई जब दिल में उतर जाता है। 'नमन'


पूंछा जब उसने मेरे गीत क्यों हैं ग़मज़दा 
सीने के ज़ख्म दिखाए तो वो भी रो पड़ा।  'नमन'

मेरे गीतों का दर्द, उनका गम और उनकी बेबसी 
मेरे सीने के ज़ख्म देख लो सब जान  जाओगे।
अगर जाननी ही है 'नमन' की असलियत तुम्हे 
सीने से  लग के  देख लो  पहचान  जाओगे। 'नमन'


जबसे उसके इश्क में दिल ये दीवाना हो गया 
दर्द की गलियों में मेरा आना-जाना हो गया। 'नमन'

वही कुछ पल उनके साथ जो हमने गुजारे हैं 
वही  पल और यादें आज भी मेरे सहारे हैं। 
भुलाना चाह कर भी हम उन्हें कैसे भुलायेंगे 
इसी भ्रम में रहे हैं जी की वो अब भी हमारे हैं। 'नमन'


नैन कातिल हैं  नक्श कातिल हैं 
जुल्फें कातिल हैं लब भी कातिल हैं।
तेरी हर एक अदा कातिलाना है 
ऐ हुश्न तेरे रोम-रोम कातिल हैं। 'नमन'

क़यामत खुद हो सब पर क़यामत बरपा करते हो 
दिखा कर हुश्न अपना फिर हमीं से पर्दा करते  हो।
सितमगर हो सितम करके हमेशा  मुस्कराते हो
हमें तो तुम सताते हो करम गैरों पे करते हो।      'नमन'


तेरी अदाओं पे मर जाते तो अच्छा होता 
तेरे बिछुड़ने का गम तो नहीं मिला होता। 'नमन'


5 comments:

  1. bahut sundar abhiwykti ...har pankti dil ko chu leti hai shukriya

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  2. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (02-03-2013) के चर्चा मंच 1172 पर भी होगी. सूचनार्थ

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  3. उम्दा शेर... खूबसूरत अशआर....

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