BATKAHI
कहा कहा फिर फिर कहा, लेकिन कहा न जाय| जब भी कहा कुछ अनकहा, पीड़ा बरनि न जाय||
Tuesday, 19 February 2013
भावना
भावना से प्रेम गूंथा
दर्द का अमृत मिलाया
इश्क का तड़का लगाया
स्नेह की मधु चासनी में
देर तक उसको डूबा कर
प्रेम-दिन पर प्रेम का
पकवान
फिर सबको चखाया ...
'नमन' बेचारा खड़ा सब देखता है
कुछ न उसके हाथ आया ...
कुछ न उसके हाथ आया ...
'नमन'
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