Monday, 4 February 2013

यह पंक्तियाँ तुम्हारे लिए हैं ...........



यह पंक्तियाँ तुम्हारे लिए हैं , 
सिर्फ तुम्हारे लिए ......

क्यों ढूंढता हूँ मैं उसमे ...... 
कभी माँ - कभी बहन
कभी मित्र -कभी सहचरी 
कभी प्रेयसी -कभी पत्नी 
कभी खुदको तो कभी जीवन को 
क्यों आखिर क्यों .....?

क्या उसका
सिर्फ और सिर्फ स्त्री होना 
काफी नहीं है मेरे लिए ....
या  वह इतनी जरुरी है 
मेरे लिए 
मेरी पूर्णता के लिए  
की मैं उसके बिना
अधूरा महसूस  करता हूँ .....

क्या वह मेरे लिए 
उतनी ही जरुरी है 
जितना ..... 
सांस के लिए आक्सीजन 
संख्याओं के लिए शून्य 
ह्रदय के लिए धड़कन 
शिराओं के लिए खून 
बीज के लिए नमी 
भक्त के लिए भगवान् ....

वह है मेरे ह्रदय का 
वह नम हिस्सा 
जहाँ उगती हैं
प्रेम की संभावनाये 
मित्रता की सुगन्धित बेलें 
स्नेह की क्यारियां 
और मन महक जाता है ....
                                   'नमन'

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