Monday 31 December 2012

Vedana


आईये जलाएं 
जरूर जलाएं 
10-20-50-100-1000
मोमबत्तियां उस 'वेदना' के नाम 
फेंक दिया गया था जिसे
दिल्ली की सड़क पर 
चलती बस में बलात्कार करके ...
जिसने अंतिम सांस ली 
सिंगापूर के एक अस्पताल में .....

पर  है मेरी विनती 
कम से कम एक मोमबत्ती 
जरूर जलाएं उस गर्भवती 
महिला पत्रकार के नाम  
जिसका नाम जुड़ा  था 
एक राजनेता के नाम के साथ 
और जिसे बेरहमी से
क़त्ल कर दिया गया  ....

जलाईये एक मोमबत्ती 
उस कवियित्री के नाम भी 
जो क़त्ल कर दी गयी 
अपने राजनेता मित्र 
और उसकी पत्नी के गुर्गों द्वारा ...

जलाईये कम से कम 
एक मोमबत्ती 
विमान कंपनी में कार्यरत 
उस महिला के लिए भी
अपने मालिक द्वारा किये जा रहे 
शारीरिक शोषण से बचने के लिए 
जिसे करनी पड़ी आत्महत्या .....

आईये जलाएं एक मोमबत्ती 
उस नर्स के नाम भी 
जिसका उपभोग करके 
उसे मार दिया गया 
उसके राजनेता मित्र के 
इशारे पर ....

कम से कम 
एक मोमबत्ती जलाईये 
मुंबई के एक सुधार गृह की 
उन लड़कियों के नाम भी 
जो महीनो और सालों तक 
लगातार होती रही हैं
दरिंदों का शिकार .......

एक सिर्फ एक मोमबत्ती 
उस महिला के नाम 
जिसे सरेआम नंगा किया गया 
गौहाटी की सडकों पर ....

एक मोमबत्ती 
उस महिला पुलिस कर्मी
के नाम भी 
जिसे बे इज्ज़त किया गया 
उड़ीसा की सडकों पर ....

एक मोमबत्ती जलाईये 
उस बेटी के नाम भी 
जिसके अपने पिता ने 
वर्षों तक उसके साथ
किया दुष्कर्म ....

जलाईये एक मोमबत्ती 
उस महिला के नाम भी 
जिसे नंगा घुमाया गया था 
राजस्थान के एक गाँव में ...

जलाईये एक मोमबत्ती 
बलात्कार से पीड़ित 
उस महिला के लिए भी 
थाने में शिकायत दर्ज करने जाने पर 
जिसके साथ हुआ थाने में 
पुनः बलात्कार ....

जलाईये एक मोमबत्ती 
उस महिला के लिए भी 
जो हुयी चलती ट्रेन में 
टिकट निरीक्षक की 
वासना का शिकार .....

कम से कम 
एक मोमबत्ती 
उन बेटियों और बहनों के नाम 
जो वर्षों तक होती रही शिकार 
कश्मीर से लेकर पंजाब तक के 
उग्रवादियों का  ....

और जलाएं 
उन माँ बहनों के नाम भी
एक मोमबत्ती 
रक्षक ही हुए जिनके भक्षक 
जिन सुरक्षा बलों पर थी 
उनकी रक्षा की जिम्मेवारी 
उन्ही ने किया जिनका
शारीरिक शोषण ....

जलाईये एक और मोमबत्ती 
उन सभी दलित, शोषित, आदिवासी 
महिलाओं के लिए 
स्वतंत्रता से अब तक जारी है 
लगातार जिनका शोषण 
राजनेताओं, अधिकारीयों, 
धन पशुओं और बाहुबलियों द्वारा ....

या तो फिर रहने ही दो 
मत जलाओ ये मोमबत्तियां 
इनके उजाले में कहीं 
सामने न आ जाएँ 
वे सभी अमानवीय चेहरे 
जो लगातार छलते रहे हैं 
हमारी माँऑं ,बहनों और बेटियों को ....
                               'नमन'  

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