गुनाह
आज कल प्यार की कीमत नहीं करता कोई
यार पर जान निछावर नहीं करता कोई ।
गुनाह हमने किया है जो इश्क कर बैठे
इस ज़माने में मोहब्बत नहीं करता कोई ।
वतन की राह में जिसने लुटा दिया सब कुछ
उन शहीदों की अब इज्ज़त नहीं करता कोई।
दौड़ता है बदन में दूध जिसका बनके लहू
आज उस माँ की इबादत नहीं करता कोई।
झूठ पर झूठ बोले जाते हैं सियासतदां
अब हकीकत की सियासत नहीं करता कोई।
खून पीते हैं जो मजदूर और किसानो का
इन अफसरों से क्यों नफ़रत नहीं करता कोई।
'नमन'
No comments:
Post a Comment