Sunday 23 September 2012

बाज़ार


                   बाज़ार     
बाज़ार से गुजरा हूँ कहीं प्यार नहीं है
कोई भी अब वफ़ा का तलबगार नहीं है|
दिल बेचने निकले हैं हसीनो क़ी गली में
लगता है इसकी किसी को दरकार नहीं है|
देखो जिसे वही उसे पत्थर है मारता
वो प्यार मांगता है गुनाहगार नहीं है|
जिस पर निगाह डाली वही बे-वफ़ा मिला 
इस सदी में कोई भी वफादार नहीं है|
इतना मिला है दर्द मोहब्बत क़ी राह में
अब हमको किसी पर भी ऐतबार नहीं है|
कीमत नहीं समझता कोई इश्क क़ी 'नमन'
इस दौर में कोई भी समझदार नहीं है|      
                                                    'नमन'

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