तुम
चंद लफ्जों में तुम्हारी नक़ल हो ना सकी
हज़ार कोशिशें क़ी तुझ सी ग़ज़ल हो ना सकी|
उसका चेहरा है या क़ी माहताब है यारा
इस खुदाई में कोई तुझ सी शक्ल हो ना सकी |
रातों को जाग कर कोशिश तो बहुत क़ी मैंने
मगर वैसी ग़ज़ल, जैसी है असल हो ना सकी |
मैं जानता हूँ तेरे चाहने वाले हैं बहुत
मुझसे मुफलिस से कोई तेरी टहल हो ना सकी|
माफ़ करना 'नमन' हम हैं नहीं तेरे काबिल
दुआ अपनों क़ी हमें कभी हासिल हो ना सकी|
'नमन'
चंद लफ्जों में तुम्हारी नक़ल हो ना सकी
हज़ार कोशिशें क़ी तुझ सी ग़ज़ल हो ना सकी|
उसका चेहरा है या क़ी माहताब है यारा
इस खुदाई में कोई तुझ सी शक्ल हो ना सकी |
रातों को जाग कर कोशिश तो बहुत क़ी मैंने
मगर वैसी ग़ज़ल, जैसी है असल हो ना सकी |
मैं जानता हूँ तेरे चाहने वाले हैं बहुत
मुझसे मुफलिस से कोई तेरी टहल हो ना सकी|
माफ़ करना 'नमन' हम हैं नहीं तेरे काबिल
दुआ अपनों क़ी हमें कभी हासिल हो ना सकी|
'नमन'
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