क्या कहें तेरी नज़र का तीर दिल के पार है
इश्क क़ी कश्ती क़ी तेरे हाथ में पतवार है|
तुमने होठों से कहा कुछ भी नहीं हमसे मगर
हमने समझा तुमको मेरे प्यार पर ऐतबार है|
मौजें दरिया के किनारों से सदा टकराती हैं
कौन जाने इसमें उनका प्यार है या रार है|
हमने इन तारों से अपना चाँद माँगा जब कभी
तो वे बोले क़ी उन्हें इनकार ही इनकार है|
हुश्न के बाज़ार में दिल बेचने आये हैं हम
और कीमत में मोहब्बत क़ी हमें दरकार है|
दिल में बसना है मेरे या दिल है मेरा तोड़ना
पूंछने क़ी बात क्या है ये तेरा अधिकार है|
'नमन'
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