लोगों ने दिए हैं गम ,हमें अपना बना करके
हमने उन्हें रखा है, सीने में छिपा करके|
चेहरे क़ी हकीकत को, पहचाने भी तो कैसे
मिलते हैं वो अब हमसे, चेहरा ही छिपा करके|
होठो से मोहब्बत का, पैगाम नहीं देते
लिखते हैं वो ख़त लेकिन नाम मिटा करके|
वो कातिल हैं मेरे, हम जानते हैं यह पर
हम जान भी देते हैं, उनको ही दुआ करके|
हालात बुरे हैं पर, लड़ना भी तो लाजिम है
दुश्मन से लड़ते हैं, अंदाज़ जुदा करके|
कुछ ऐसे परिंदे हैं, उड़ना जो चाहते हैं
हालात रखा है, पिंजरे में फंसा करके|| 'नमन'
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