यानी वह खिड़की
जहाँ से आप
बे- झिझक , बे-हिचक
थूक सकते हैं दूसरों पर
डाल सकते हैं
अपने गंदे दिमाग का कूड़ा
दूसरों के सर पर ।
कह सकते हैं कुछ भी
इतिहास पुरुषों के बारे में
बिना कुछ जाने
बिना इतिहास पढ़े
सिर्फ गूगल पर पढ़ कर ।
खुजा सकते हैं एक दूसरे की पीठ
" क्या बात है !"
"बहुत अच्छे !"
"क्या लिखा है आपने!"
"वाह!"
"वगैरह- वगैरह!"
जैसी टिप्पणियों के साथ
जहाँ असहमति के लिए
नहीं है कोई जगह
हम बेझिझक लिखते हैं गालियाँ
दूसरों का नाम ले लेकर
देते हैं सबको
चोर उचक्कों का संबोधन
क्योंकि
"चोरों को सारे नज़र आते है चोर "
कभी झांकते नहीं वे
अपने गिरेबान में....
भाई ,
पत्थर मारने का हक़ सिर्फ उन्हें है
"जिसने पाप न किया हो ,जो पापी न हो"
'नमन'
No comments:
Post a Comment