Thursday, 26 April 2012

PRAJATANTRA



मरना सस्ता हो गया , जीना हुआ मुहाल 
देश हुआ धनवान है,  जनता है  कंगाल|


कल तक जो सभ्रांत थे , नंगा उनका हाल
पांच सितारा संस्कृति का ये नया कमाल|


उनका ही क़ानून है, जिनके घर में माल
चोर- उचक्के कर रहे , चारो ओर धमाल|


मेहनतकश मजदूर हो या मेहनती किसान 
दोनों का ही आज -कल हाल बड़ा बेहाल|


खून हमारा चूस कर करता है जो राज
नेता  वो ही है बड़ा,  जो  है धोखेबाज़|


लोकपाल पर संसद में सुनकर सबके बोल
जनता ये कहने लगी, है इस ढोल में पोल|


भय और भ्रष्ट्राचार से घायल है जनतंत्र 
हुआ निकम्मा आज है, अपना शासन-तंत्र ||  'नमन'

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