ये गाँव तेरी याद सताती है आज भी
खुशबू तेरी माटी क़ी रुलाती है आज भी|
हम रूठ कर तुझसे शहर तो आ गये मगर
दादी तेरे बारे में बताती है आज भी|
वो दोस्तों के साथ मटरगस्ती के रात- दिन
सब याद करके आँखे भर आती हैं आज भी|
गेहूं के लहलहाते खेत और धान क़ी बाली
सरसों के फूलों क़ी याद आती है आज भी |
वो खेत - खलिहानों में बीते हुए पल
बहती हुयी पुरवाई बुलाती है आज भी|
होली में दोस्तों के साथ रंग खेलना
फागुन क़ी याद साँस महकाती है आज भी|
अमराईयों की छांव और सावन के वो झूले
ताज़े गुड की महक ललचाती है आज भी|
तू दूर है मुझसे मगर ये मेरी माती
सपनों में मेरे रोज तू आती है आज भी|| 'नमन'
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