Tuesday, 10 April 2012

फेसबुक से



मैंने समय - समय पर  फेसबुक पर कुछ न कुछ लिखा है। उन्ही पंक्तियों में से कुछ आज अपने मित्रों के लिए ब्लॉग पर चिपका रहा हूँ।  ये सभी मेरी अपनी रचनाएँ हैं जिन्हें एक स्थान पर संग्रहीत कर  रहा हूँ। 
                     आपका अपना , 'नमन'




वेश्याएं तो बेचती हैं 
सिर्फ अपनी अस्मत ,
वीबियां गिरवी रख देती हैं 
पतियों के पास अपनी किस्मत! 
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हुश्न देंखे - हुनर देखें , अदाओं का असर देखें
तेरी मुस्कान का जादू- निगाहों का कहर देखें
तेरा जलवा -तेरी तस्वीर देखें, तुझमे रब देखें
जहाँ देखें -तुझे देखें , इधर देखें- उधर देखें!!
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नारी  मुक्ति का नारा लगाने वाली महिला ने 
अपने सौंदर्य में फाँसा एक पुरुष को 
और फिर उसी क़ी होकर रह गयी।।
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प्राचीन काल में 
हमारा समाज था नारी प्रधान 
तब सूर्य 
पृथ्वी के चक्कर लगाता था 
गैलिलिओ था 
प्रखर पुरुषवाद का प्रणेता 
उसने पृथ्वी से 
सूर्य के चक्कर लगवा दिए| 
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यदि हृदय प्यार से भर जाए, दानव भी देवता बन जाये
तू  प्यार करे सारे जग  से,  सारा जग  तेरा बन जाये |
ये जीवन अमृत कलश सदृश, वाणी भी अमृतमय कर ले
खुशिओं के वीज बिखेरे हम, सारा जग उपवन बन जाये||  
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उसका चेहरा  है या ग़ज़ल साहेब, उसकी  नज़रें  करें क़त्ल साहेब 
उसको  देखा तो खुद को भूल गया, खो गयी है मेरी अक्ल साहेब||
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खुद को पल में मिटा दिया हमने
 खुदा तुझको बना  लिया हमने|
  इश्क  में अक्ल खो  गयी  मेरी
 घर में कातिल बिठा लिया हमने||  
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ये   हुश्न  जब से  तेरे दीदार  हो    गये 
 हम तेरी मोहब्बत में गिरफ्तार हो गये
तिरछी नज़र से तुमने देखा था एक बार, 
हम  ऊम्र - भर को  तेरे बीमार हो गये|| 
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अपने ही हम पे जब से ढाने लगे सितम
 गैरों में ढूँढने लगे हम तबसे अपनापन
आँखों क़ी नींद दिल का चैन छीनने वाले
 तोड़े हैं तूने आज मेरे सैकड़ों भरम||  
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जब मैं उसको प्यार लिखता हूँ
दुवायें    बेशुमार     लिखता     हूँ|
जो मेरी धडकनों  पर  सजते   हैं
गीत   वो बार- बार लिखता  हूँ||  
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 मोहब्बत इबादत,  मोहब्बत बगावत, 
मोहब्बत मुरव्वत, मोहब्बत क़ी हसरत|
मोहब्बत फ़साना,  मोहब्बत हकीकत  
वो दिल ही नहीं, जिसमे ना हो मोहब्बत|| 
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मै तेरी यादें
जेहन से मिटाऊं कैसे?
चाहूँ  भी अगर
तो तुझको भुलाऊं  कैसे?
बिन तेरे
आज भी अधुरा हूँ
मैं तेरा पुराना
जमूरा हूँ
खेल ता-ऊम्र
दिखाए मैंने
कभी हंसा तो कभी
आंसू बहाए मैंने
तेरी आवाज पर
आँखों के एक इशारे पर
खेल करता रहा मैं
सड़क और चौपालों पर|
मैं तेरी यादें
जेहन से मिटाऊं कैसे?
चाहूँ भी अगर
तो तुझको भुलाऊं कैसे?
                                       
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 वो अपने हुश्न पर इतरा रहे हैं 
हम अपना गम छिपाए जा रहे हैं|
उनसे  नज़रें  बचा आज भी हम  
अपने आंसू बहाए जा रहे हैं|
है उनके साथ ये सारा जमाना 
हम जिनके गीत गाये जा रहे है|
नहीं है गम क़ी सारे गम हैं मेरे 
हम अपना गम निभाए जा रहे हैं| 
दिलों को तोड़ना है शौक जिनका 
हम उनसे दिल लगाये जा रहे हैं|   
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ना मैं मंसूर हूँ  ना ईसा  हूँ , ना तो कबीर का कोई किस्सा हूँ
मै हूँ एक प्यार क़ी भरी गागर, मैं उसके आसुओं का हिस्सा हूँ||
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 हुश्न वालों क़ी अदाओं का असर देखेंगे 
तीर नज़रों के और बातों का हुनर देखेंगे|
क़त्ल करने को तेरी सादगी ही काफी थी
संवर के आये हैं तो उनका कहर देखेंगे||
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" तमाम ऊम्र तरसती रही उसकी आँखें
 वक्त-बे-वक्त बरसती रही  उसकी आँखें|
 दर्द तनहाई का नाकाबिले बर्दास्त हुआ
  सोये भी तो सिसकती रही उसकी आँखे||
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हम तुम्हे अपनी वफ़ा दें तुम हमें अपनी ज़फा
जिंदगी चलती रही, हम बा-वफ़ा तुम  बे-वफ़ा ||
                                                      
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मेरे सपनों के लिए, मेरी चाहत के लिए
दुवा वो करता रहा, मेरी मोहब्बत के लिए|
कल मेरे चाँद ने मेरे लिए इबादत क़ी
रब से मांगी है नींद मुझ बेमुरव्वत के लिए||
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सुबह मरते हैं, शाम मरते हैं
मुफलिसी में तमाम मरते हैं|
जिन उसूलों क़ी बात करते हो
घर के चूल्हे न उनसे जलते हैं||
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यकीन उसका न  करूँ  तो गुनहगार  बनू
यकीन  कर लू अगर उसका तलबगार बनू|
तमाम  ऊम्र  बिताई  है  धूप  में  हमने
आज मैं कैसे किसी चाँद का बीमार बनू ||

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हुस्नवाले तेरा   ऐतबार करें तो   कैसे ?
अपने जज्बातों का इजहार करें तो कैसे?
रु-ब-रु तुझसे हो के होश हम खो बैठे हैं
प्यार आता है मगर प्यार करें तो कैसे?
                                                

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देश क़ी खातिर कोई आजकल जान देता नहीं
अब शहीदों का कोई नाम तलक लेता नहीं|
रोशनी सबको चाहिए मगर जलेगा कौन
मेरे सवालों का कोई जवाब देता नहीं||
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कभी सावन कभी भादों में ये बादल बरसता है
पपीहा उम्र भर स्वाती  क़ी बूंदों को तरसता है|
तुम्हारी याद में हर पल बरसती हैं मेरी आँखें
ग़ज़ल के शेर में शायर  अपना दिल परसता है||
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 अजीज हैं तो दुआ ही देंगे
प्यार देंगे,     वफ़ा ही   देंगे
मगर जो इश्क के दुश्मन हैं 
तुम्हे देंगे तो सज़ा ही देंगे || 
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 जब चाहो पढ़ लो दिल मेरा  खुली किताब है 
 चाहत  में  उसकी  जर्रा   हुआ आफ़ताब   है|
 है आज कल   गुरुर  उसका  देखते  बनता 
  जिसको भी छुआ उसने हुआ लाजवाब है||  
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तुम्हारे प्यार का मैं कर्जदार हूँ यारों 
गुजरते वक्त क़ी एक यादगार हूँ यारों|
मैं ऐसा पेड़ हूँ जिस पर बहार आती नहीं
जैसा हूँ आज भी यारों का यार हूँ यारों||  
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यूँ ही अपनों क़ी शिकायत नहीं किया करते
अपने ही घर में सियासत नहीं किया करते||
न जले घर, न जले दिल, जले तो दीप जले
बेवजह कत्ले मोहब्बत नहीं किया   करते||

तुम्हारी ईद पर हम भी दीवाली कर लेंगे
हम दावतों पे अदावत नहीं किया   करते||
गिले शिकवे  कहाँ किस घर में नहीं होते हैं
ऐसे अपनों क़ी खिलाफत नहीं किया करते||

याद रखना 'नमन' गुलशन के पहरेदार हैं हम
काँटा लगने पे बगावत नहीं किया  करते||
                                                            
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तेरे   छूने   से   संवर जाऊंगा
वर्ना   बेवक्त   विखर   जाउंगा||
मैं तुझपे जान छिड़कता हूँ पर
तूने पूछा तो मुकर जाऊंगा ||
तू मोहब्बत से यूँ ना देख मुझे
आँख से दिल में उतर जाउंगा||
मैं    तेरे   इश्क  में   दीवाना   हूँ
किसी भी हद से गुजर जाउंगा||
तू मुझसे प्यार का इज़हार न कर
वरना   बेवक्त     ही    मर    जाउंगा||  
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लाशों का शहर है  यहाँ  इंसान नहीं हैं
मंदिर हैं, मस्जिदें हैं पर भगवान् नहीं है|
जो पढ़ सकें प्यार के दो चार लफ्ज भी 
पत्थर के घरों  में  ऐसे विद्वान नहीं  हैं||  

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उसकी नज़र में चाहे गुनाहगार रहा हूँ
मैं ऊम्र भर उसका ही तलबगार रहा हूँ|
हालात ने भले हमें   रखा जुदा  जुदा 
मैं उसकी मोहब्बत में गिरफ्तार रहा हूँ|| 
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ज़ख्म सीने पे लगाओ तो गीत गाता है
बेसुरा बांस तलक बांसुरी बन जाता है||
जिसने मुझको दिया है दर्द वो विधाता है
मेरी ग़ज़लों का श्रेय सिर्फ उसे जाता है||
   
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वो भी क्या दिन थे
माँ कि गोद और पापा के कन्धों के
दादी के नेह और दादा के किस्सों  के
अब याद आ रहा है सब 
छूटा जो पीछे  
वो रोते रोते सो जाना
खुद से बातें करना और खो जाना
माँ का चिल्लाना और खाना खिलाना
वो दिन दिन भर पापा का रास्ता तकना
अपनी जिद के लिए लड़ना
वो भी क्या दिन थे बचपन की बातों के
खेलों के दिन और सपनो की रातों के 
अब जिद भी अपनी, सपने भी अपने
किससे कहें क्या चाहिए
मंजिलों को ढूढते ढूढते
खुद खो गए
बेवजह बड़े हो गए |  
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 बेहतर हो क़ी आप मोहब्बत किया करें
थोडा ही सही सुबह शाम जी लिया करे||
वरना इस जिंदगी में ग़मों क़ी कमी नहीं
अपनो से मिल के गरेबान सी लिया करें|| 
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दिल उसने मेरा तोडा
 जो दिल के करीब था|
जिसने दिया है दर्द
 मेरा ही हबीब था|| 
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 हमने दिए जला
ये हर एक मोड़ पर मगर
आना न था न आये वो मेरी गली कभी||
                                                     
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खुदा करे क़ी सियासत क़ी मौत हो जाये 
ताकि दुनियां से अदावत क़ी मौत हो जाये 
दुवा करो,    पूजा करो,   अरदास करो 
ताकि दिलों में बसी नफरत क़ी मौत हो जाये|| 
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जिओ तो ऐसे जिओ जिंदगी मिसाल बने
मौत आये तो इन्किलाब का आगाज़ बने|
तुम अगर चाहो ज़माने को बदल कर रख दो 
आदमी क्या है खुदाई भी कर्ज़दार बने|| 
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दर्द जो उसने दिया था वो कसक बाकी है,
साँस में उसकी मोहब्बत क़ी महक बाकी है| 
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सब अपनी अपनी असलियत छिपाए बैठे हैं
यहाँ पर लोग मुखौटे लगाये बैठे हैं| 
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गीत जब भी लिखे किसीके लिए
उसको चाहा है  जिंदगी के लिए||
दोस्ती  में  दुवा     जरूरी      है
दोस्तों क़ी  सलामती के लिए|| 
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 बिन बताये मेरे ख्वाबों में चले आते हो
मेरी नीदों में आके तुम मुझे सताते हो|
मेरी यादों क़ी गली में है आना जाना तेरा
आंख के रास्ते तुम दिल में उतर जाते हो||
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तेरी मासूमियत का ए सनम जवाब नहीं
रखना बच्चो सा दिल इस दौर में आसान नहीं|
तेरे मुकाबिल नहीं कोई भी यहाँ पर ए दोस्त
इश्क क़ी राह में जान देना सबका काम नहीं|
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जिन चिरागों से दोस्ती क़ी है
आग घर में उन्ही से लगती है
कब बेगानों  ने घर जलाया  है
आगजनी दोस्तों ने ही क़ी है|| 
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आज खुश हूँ  कि किसीने मुझे आवाज तो दी
बरसों भटका हूँ इन गलियों में पागलों क़ी तरह|
ये मेरा  दर्द  मेरा  ज़ख्म मुबारक मुझको
जीते हैं इस शहर में लोग पत्थरों क़ी तरह|| 
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इश्क  पूजा  है, इश्क  सजदा  है
इश्क   वाला  खुदा  का बंदा है|
इश्क मजबूर है मासूम है इश्क
हुश्न वालों को  इश्क फंदा   है||     
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इश्क पूजा है इश्क सजदा मेरा
इश्क ही राम और रहमान मेरा|
इश्क में तेरे  मीरा  नाची  थी
इश्क काशी है इश्क काबा मेरा|| 
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वेदनाएं अगर मलहम  होती 
आँख ना आंसुओं से नम होती||
सूख जाता है प्यार का दरिया 
गैरों में जब मेरी सनम  होती|| 
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तुम्ही बताओ
कैसे नही तड़पता मै?
पहले तुमने हमें
अपनी  लटों में उलझाया 
फिर लटें  समेटकर
 जूड़ा बनाया
मै बंधा था
तड़प रहा था 
 साँसें बंद हो रही थी 
 तुम्हारा साथ  था 
इसलिए खुश था
अचानक 
तुमने जूड़ा क्या खोला  
 तुम्हारी जुल्फें  लहराई 
आसमान से  निकल कर 
मैं जमीन पर गिर पड़ा 
तुम्हारी मदहोश नज़र से
 खिंचा खिंचा 
तुम्हारे आँचल के सहारे
तुम्हारी आँखों में समां गया 
तुमने पलकों के कपाट  बंद किये 
तो दूसरे  रास्ते मैं तुम्हारे 
दिल में उतर गया 
देख वहां का मंज़र 
अपनी तड़प, अपनी मुसीबत
मैं सब भुला बैठा
दिखाई पड़े
कितने ही नौजवान अधेड़ और बूढ़े
 तुम्हारे हुश्न 
तुम्हारी अदा का शिकार 
कुछ नए - तो कुछ पुराने बीमार 
 तुम्हारे दिल में कैद
 उस भीड़ में
मेरा भी एक नाम जुड़ गया
मैं भी तुम पर
मरने वालों में एक हो गया
भ्रम ये है क़ी मैं ज़िंदा हूँ
पर असलियत में......
तुम पर मर मिटा हूँ!
तुम पर मर मिटा हूँ!! 
                                     
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 हमने तमाम उम्र इन्तजार किया है 
उस बेवफा से प्यार सिर्फ प्यार किया है|
उसने हमें निकाल दिया जिंदगी से पर
हमने उसे अपना खुदा स्वीकार किया है|| 
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प्रीति खुद  पूर्ण  है,  बे सहारा   नहीं 
चाँद, तारों क़ी सोहबत का मारा नहीं|
प्यार क़ी गंगा के हैं भले ही दो तट 
प्रीति को फिर भी बंधना गंवारा नहीं||  
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हमने जो चाहा किया वो है लिखा इतिहास में
होती है ताकत बहुत इन्सान  के विश्वास  में|
हम परिंदों को  उड़ानों से  भला रोकेगा कौन
हमने जब भी ठान ली हम उड़ चले आकाश में||
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"है मुझको सब कबूल, वो दुआ दें या दगा दें,
है हक़ उन्हें वो हमको हंसा दें या रुला दें|"
                                                                  
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रोशनी क़ी 'किरण', दोस्ती क़ी 'किरण',
इन अंधेरों में है एक आशा   'किरण'|
है दीवानी 'किरण', पर सयानी 'किरण'
दोस्तों क़ी  बहुत ही दुलारी  'किरण'|
एक हाला 'किरण', गम का प्याला 'किरण'
गीत ग़ज़लों में है, सबसे आला  'किरण'|
मस्त मौला 'किरण', शायराना   'किरण'
जोड़ती है दिलों को, ए कविता  'किरण'|
                                                           
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 किसी बात पर कोई मुझसे खफा है
न वो बेवफा है न हम बेवफा हैं ||
गलतफहमियों का ये आलम तो देखो
मोहब्बत मेरी उसको लगती जफा है|| 
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 जुदा जुदा ही रहे फिर भी हमसफ़र ही रहे
नदी के दोनों किनारे इधर उधर ही रहे|
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आज के दिन तो कुछ बोलिए 
 दिल को नज़रों से  तोलिए| 
बिक रहे हैं  दिल बाज़ार में 
भाव ऊँचा जरा खोलिए|| 
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 जिंदगी प्यार का गीत   है, जिंदगी एक संगीत है, 
प्यार में डूबे दिल के लिए, जिंदगी जीत ही जीत है|
जिंदगी एक अरमान है, इश्क जीवन क़ी पहचान है, 
मर मिटे जो किसी पर उन्हें, जिंदगी प्रीति ही प्रीति है||  
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अगर तुमको मोहब्बत की इजाजत  है तो आ जाना 
अगर मिलने- मिलाने की भी आदत है तो आ जाना।
अगर दिल  में तुम्हारे प्यार का सगीत बजता है
मोहब्बत को समझते हो इबादत है तो आ जाना ।।
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'नमन-     नमन   -   नमन --       नमन-----      नमन '         
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