Saturday, 19 November 2011

उस मित्र की याद में जो दूर जा बैठा है...

उस मित्र की याद में जो दूर जा बैठा है...
मै तेरी यादें
जेहन से मिटाऊं कैसे?
चाहूँ  भी अगर
तो तुझको भुलाऊं  कैसे?
बिन तेरे
आज भी अधूरा  हूँ
मैं तेरा पुराना
जमूरा हूँ
खेल ता-ऊम्र
दिखाए मैंने
कभी हंसा तो कभी
आंसू बहाए मैंने
तेरी आवाज पर
आँखों के एक इशारे पर
खेल करता रहा मैं
सड़क और चौपालों पर|
मैं तेरी यादें
जेहन से मिटाऊं कैसे?
चाहूँ भी अगर
तो तुझको भुलाऊं कैसे?
                                       'नमन'











No comments:

Post a Comment