Tuesday, 27 September 2011

FALSAFA





मित्रो,
  अपनी रोज की दिनचर्या में हमें अनेक अनुभव ऐसे होते हैं की जिनकी हमने
कल्पना भी नहीं की होती| कभी कभी हमारे अपने काफी दर्द दे जाते हैं.........

बद्दुआ काफी है, तुम हमको दुआ मत देना
बेवफा हो तुम,भूल कर भी वफ़ा मत देना|

खारे पानी के समंदर से इल्तिजा है मेरी
किसी प्यासे को सुनामी का सिला मत देना|

इस सियासत का  फलसफा  अजीब  है  यारों 
भूल कर भूखे को कोई निवाला  मत देना| 

जबसे  देखा  है  तुझे  होश    गवां    बैठा    हूँ
साकी मयखाने में तू और पिला मत देना|

राम और  कृष्ण की धरती पे जन्म पाया है
कुछ  भी देना 'नमन' अपनो को दगा मत देना||
                                                                                      'नमन'

No comments:

Post a Comment