अपनी रोज की दिनचर्या में हमें अनेक अनुभव ऐसे होते हैं की जिनकी हमने
कल्पना भी नहीं की होती| कभी कभी हमारे अपने काफी दर्द दे जाते हैं.........
बद्दुआ काफी है, तुम हमको दुआ मत देना
बेवफा हो तुम,भूल कर भी वफ़ा मत देना|
खारे पानी के समंदर से इल्तिजा है मेरी
किसी प्यासे को सुनामी का सिला मत देना|
इस सियासत का फलसफा अजीब है यारों
भूल कर भूखे को कोई निवाला मत देना|
जबसे देखा है तुझे होश गवां बैठा हूँ
साकी मयखाने में तू और पिला मत देना|
राम और कृष्ण की धरती पे जन्म पाया है
कुछ भी देना 'नमन' अपनो को दगा मत देना||
'नमन'
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