Friday 10 June 2011

ANNA, RAMDEV BABA AUR CONGRESS

पिछले कुछ महीने स्वतंत्र हिन्दुस्तान के इतिहास में काफी महत्वपूर्ण रहे हैं| अन्ना हजारे और फिर बाबा रामदेव द्वारा  भ्रष्टाचार के खिलाफ चलायी जा रही मुहिम ने एक तरफ जहाँ हिंदुस्तान के युवा वर्ग को आकर्षित किया है वहीं इस आन्दोलन ने कई प्रश्न भी उपस्थित किये हैं जो अनुत्तरित हैं और जिनके जवाब खोजने का गुरुतर भार प्रबुद्ध वर्ग पर है|
हमारा देश मनीषियों, अन्वेषकों,  चिंतकों और विचारकों का देश रहा है| ऐसे देश में वे निर्णय जो आने वाली पूरी पीढ़ी को प्रभावित करते हैं, खूब सोच समझ कर हमें लेने होंगे |मुझे बरबस स्वर्गीय कवि जयशंकर प्रसाद की हिंदुस्तान  के बारे में लिखी गयी ये पंक्तियाँ याद आ रही हैं..

'तुम्हारे कुंजों में तल्लीन, दर्शनों के होते थे वाद,
देवताओं के प्रादुर्भाव, रात्रि के स्वप्नों के संवाद|
स्निग्ध की छाया में बैठ, परिषदे करती  थी सुविचार,
भाग कितना लेना मष्तिष्क, हृदय का कितना हो अधिकार|

                  अगर ऐसे देश में बाबा रामदेव जैसे लोग अपनी सेना बनाने का विचार कर रहें हैं तो 
लगता है हमारी सोच में कहीं न कहीं बहुत बड़ी गड़बड़ है| बाबा रामदेव जैसी सोच ही संघर्ष को जन्म 
देती है| बाबा रामदेव के एक अनुयायी ने दिल्ली में हुए घटनाक्रम की तुलना जलियावाला  बाग़ से 
की| इन सज्जन को इतिहास और राजनीति का पाठ पढ़ने के बाद इस तरह के वक्तव्य देने चाहिए|
अंग्रेजों ने जलियावाला बाग़ में,  बाग़ में जाने वाले एक मात्र रास्ते को बंद कर लोगों पर बिना चेतावनी के गोलियां बरसाई थी |  दिल्ली में पुलिस भक्तों को घर जाने का आदेश दे रही थी| अंत तक लाठी 
चार्ज का आर्डर देते मुझे कोई  भी पुलिस अधिकारी किसी चैनेल पर नहीं दिखा| जब बाबा रामदेव 
के अनुयायियों ने पुलिस को बाबा को गिरफ्तार करने से रोका तो धक्का मुक्की हुई| इसी धक्का मुक्की में लगभग सौ भक्त घायल भी हुए|  इसमें कुछ भक्तो ने पुलिस के साथ हाथ पाई की तो पुलिस की तरफ से भी छिटपुट बल प्रयोग हुआ| 
      सबसे ज्यादा गैर जिम्मेवाराना व्यवहार बाबा रामदेव ने किया जो भक्तों को छोड़ कर स्टेज से कूद कर भाग लिए| अपने समर्थकों को अकेला छोड़ कर भाग जाने की कायराना हरकत और फिर खुद को छिपाने के लिए सलवार कुरता पहन कर स्त्रियों में छिपना , बाबा को एक अत्यंन्त कमजोर इंसान 
के रूप में दिखाता है| अधिकतर भक्तों को   मोर्चों, धरनों में पुलिस कैसे बर्ताव करतीहै यह पता नहीं था, और वे पुलिस से सीधे भिड़ गए| 
       भ्रष्टाचार  के खिलाफ लड़ाई में  कायरों के लिए कोई जगह नहीं है| बिना त्याग और बलिदान के कुछ भी हासिल न पहले कभी हुआ था, न अब होगा| भ्रष्टाचार का समूल नाश करना है पर उससे लड़ने का तरीका, उसे ख़त्म करने का तरीका भी सही होना चाहिए| हमें खूब सोच समझ कर कदम उठाना होगा| कहीं ऐसा न हो कि भ्रष्टाचार के राक्षस  लड़ते लड़ते हम एक दूसरा राक्षस न पैदा कर दें, तानाशाही मानसिकता वाले लोगों को सब अधिकार दे दें और फिर पछताएँ| 
        खुदा करे कि सियासत क़ी मौत हो जाये,
        ताकि दुनिया से अदावत क़ी मौत हो जाये|
        दुवा करो, पूजा करो,    अरदास करो, 
        जिससे दिल में बसी नफरत क़ी मौत हो जाये||  
                                                                             'नमन'

       
                             
              

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