Saturday, 2 July 2011

GEET

                गीत
जब भी मैं उसको प्यार लिखता हूँ
दुवायें    बेशुमार    लिखता       हूँ|
जो  मेरी  धडकनों  पे सजते      हैं
गीत वो  बार- बार  लिखता      हूँ||
गीत पर , जान पर , वफ़ा पर भी
उसका ही इख्तियार लिखता   हूँ||
 जब भी लिखता हूँ मैं ग़ज़ल कोई
उसके  सोलह  श्रृंगार  लिखता हूँ|| 

उसकी जुल्फों क़ी पेचो ख़म में उलझ
खुद को उसका बीमार लिखता हूँ|

वो   मुझे  बेवफा  भले    समझे
मैं  उसे अपना प्यार लिखता  हूँ|| 

                                                      
                                                'नमन'

1 comment:

  1. जब भी लिखता हूँ मैं ग़ज़ल कोई
    उसके सोलह श्रृंगार लिखता हूँ||
    BAHUT SUNDAR RACHANA

    ReplyDelete