Wednesday 25 May 2011

MALE MUFT DILE BE-RAHAM

 मित्रों,
आज मेरी सीमा के उस पार वाले एक अनन्य मित्र से दूरध्वनी पर बात हुई| बीच बीच में नेपथ्य में कुछ धमाकों क़ी आवाज आ रही थी| मैंने मित्रवर से पूंछा क़ी ये विचलित कर देने वाली ध्वनियाँ कहाँ से आ रही हैं? वे बोले यार ये मुफ्त  के पठाखे तो हमारे यहाँ फूटते ही रहते हैं| मेरी समझ में बात कुछ आई नहीं , तो मैंने पूंछ  लिया कि मित्रवर ए मुफ्त 
वाले पटाखे कि क्या बात कर रहे हो? वे बोले, यार हमारा तो पूरा देश

ही मुफ्त के सिद्धांत पर टिका हुआ है| देश ब्रिटिश हुकूमत की वजह से बैठे बिठाये मुफ्त  मिल गया, मेहनत कांग्रेस ने की और जिन्ना साहेब ने
हिस्सा मुफ्त में बाँट लिया | जिन्ना साहेब  वजीरे आज़म बन बैठे  और हम उनकी रियाया|
तब से अब तक हमें रासन से लेकर हथियार तक मुफ्त मिलता रहा है|
कभी ब्रिटिश हुक्मरान दिया करते थे अब अमेरिका देता रहता है|
ऐसे  शुभ मुहूर्त में हमारा देश बना की हमें सब कुछ मुफ्त में  पाने की आदत सी पड़ गयी है| यहाँ तक की हम ऐटम बम भी मुफ्त में उडा लाये|
अब देखिये, सोविअत संघ ने अफगानिस्तान में अपने पैर क्या पसारे हमने अमेरिका
की तरफ देखा  और अमेरिका ने तुरंत हमारी सहायता राशि कई गुना बढ़ा दी, ताकि हम 
अफगानिस्तान में तालिबान को सोविअत रूस के खिलाफ खड़ा कर सकें|
हमारे आय.एस.आय. के कर्ता -धर्ता हथियार और गोला बारूद ढोते ढोते थक गए पर अमेरिका देने में नहीं थका|  पहले सोविअत संघ से लड़ने के लिए अमेरिका ने हथियार और गोलाबारूद मुफ्त मोहैया कराये, ताकि इनका इस्तेमाल करके तालिबान की मार्फ़त सोविअत संघ की फौजों को हम अफगानिस्तान से भगा सकें  और फिर हमें और हथियार 
और पैसों से नवाजा की हम तालिबान को अफगानिस्तान की सत्ता से हटा सकें|
हमारा खर्च अमेरिका  द्वारा मुफ्त दिए गए पैसे और पटाखों से आराम
से चलता है| अमेरिका से खूब पैसे और मुफ्त के हथियार ओसामा बिन


लादेन को देने के लिए हमें मिले तो हमने कुछ ओसामा को दिए बाकी
खुद हजम कर गए| फिर ओसामा बिन लादेन और अमेरिका की दुश्मनी

हो गयी तो भी हम फायदे में ही रहे| हमारा व्यापार चलता रहा
लादेन को ख़त्म करने के पैसे अमेरिका से लेते रहे और लादेन को घर
 में छिपाए रखा ताकि खोजने के पैसे मिलते रहें|
अगर ओसामा बिन लादेन को हम पहले ही अमेरिका के हवाले
कर देते तो हमारी तो रोजी रोटी ही छिन ज़ाती| सो लादेन को ढूढने
के लिए मिल रहे पैसों की खातिर लादेन को छिपाते रहे|
मुफ्त का माल किसे नहीं भाता है भाई? अब ओबामा को ओसामा
का पता किस कमबख्त ने और क्यूं दिया पता नहीं, कमाई का एक
जरिया बंद हो गया|
फ़ौज हमारी- तनख्वाह अमेरिका देता है, आय.एस.आय.
हमारी- खर्च अमेरिका देता है, सरकार हमारी पर उसका खर्च भी
अमेरिका चलाता है और अब तो पूरी की पूरी सरकार ही अमेरिका चलाता है|
हम तो बस बैठ कर फाख्ते उड़ाते रहते हैं, जब अमेरिका जाग ही रहा है 
तो हम क्यों अपनी नींद हराम करें! अब देखिये आय.एस.आय., फ़ौज,पुलिस, 
सरकार सब अमेरिका का मुफ्त का माल खा कर सोये पड़े थे और ओबामा  ने
ओसामा को पाकिस्तान में घुस कर हलाल कर दिया|
 कुछ लोगों का कहना है की अंडे खाते-खाते आय.एस.आय. थक गयी थी
सो लादेन को अमेरिका के हवाले कर के एक बार में ही मुर्गी हलाल कर
डाली| जाहिर है की सौदा बड़ा ही हुआ होगा|  अब ओबामा को खुश
रखने के लिए मुल्ला ओमर के खोजने का चक्कर शुरू है और जरूरत पड़ने 

पर ओबामा से पैसे लेकर वक़्त पर मुल्ला ओमर को भी शहीद करा देंगे|
मैंने  सीमा के उस पार वाले मित्र से पूंछा यार तुमने सब कुछ समझाया 
पर ये नहीं बताया की पटाखे क्यों  बज रहें हैं| मित्र ने समझाते हुए कहा,
ये हिन्दुस्तान नहीं है ,यहाँ पटाखे नहीं मुफ्त में मिले बम फटते  हैं| अमेरिका 
ने हमारी धरती में इतने हथियार बोए हैं की अगली कई पीढ़ियों अगर हम 
मुफ्त में मिले इन पटाखों को फोड़ते रहें तो भी ये ख़त्म नहीं होंगे| वर्षों तक हथियार 
ही यहाँ उगेंगे और पूरे विश्व में निर्यात किये जायेंगे| आतंकवाद का सबसे 
बड़ा निर्यातक पाकिस्तान अमेरिका से आयातित हथियार पुनः अमेरिका 
को आतंकवाद के सूद के साथ निर्यात करेगा और मुफ्त का माल हजम करेगा|
इतने में जोर से धडाम  की आवाज आई और फोन कट गया| पता नहीं बम
फटा था या अमेरिकन द्रोण बिमान का हल्ला था | पता चलते ही आपको 
अगली चिट्ठी मुफ्त लिखूंगा...
आपका, 
'नमन'

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