Monday, 25 April 2011

SHINING GUJRAT

मित्रों,
आज कल सिर्फ दो बातें  चर्चा में हैं, एक अन्ना हजारे की भ्रष्टाचार विरोधी मुहीम
और दूसरी  गुजरात का औद्योगिक विकास |
पिछले दशक में गुजरात का जो औद्योगिक विकास हुआ है उसके लिए सब लोग  मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को श्रेय देते नज़र आते हैं|  निश्चित रूप से मोदी को गुजरात के विकास का
श्रेय मिलना चाहिए और वह उन्हें मिल भी रहा है| परन्तु गुजरात के विकास का श्रेय मोदी 
के साथ साथ महाराष्ट्र के नेताओं को भी जाता है|  मेरी व्यक्तिगत राय में गुजरात के विकास 
का  श्रेय महाराष्ट्र के नेताओं को मोदी से कहीं अधिक मिलना चाहिए|
अगर  महाराष्ट्र के मजदूर नेताओं ने महाराष्ट्र की औद्योगिक इकाईयों में ८० और ९०
के दशक में हड़तालें नहीं करायी होती तो ये उद्योग गुजरात ट्रान्सफर नहीं  होते|
मुंबई की कपड़ा मिलें, केमिकल फैक्टरियां आज अगर गुजरात में फल फूल रहे हैं
तो इसका श्रेय दत्ता सामंत  और उन जैसे अन्य मजदूर नेताओं को जाता है| साथ साथ
उन राजनैतिक दलों को भी जाता है जिन्होंने इन मजदूर नेताओं को पाला| शिव सेना,
कांग्रेस , राष्ट्रवादी कांग्रेस आदि दलों के अपने स्वयंभू मजदूर नेता हैं जिन्होंने महाराष्ट्र 
विशेषकर मुंबई और ठाणे की औद्योगिक इकाईयों को बंद करवाने में अपना योगदान दिया| 
ये सभी उद्योग ठाणे से सटे गुजरात राज्य में जहाँ मजदूर सस्ता था, यूनियन न के
बराबर थी बिजली पानी जैसी मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध थी,स्थानांतरित हो गए|
जहाँ एक तरफ महाराष्ट्र के राजनीतिज्ञ एनरान एवं उस जैसी विद्युत् परियोजनाओं
में राजनीती कर रहे थे वहीँ गुजरात अपनी बाहें फैलाये सब का स्वागत कर रहा
था| बिजली और मूलभूत सुविधाओं का आभाव, शासनतंत्र में हर स्तर पर व्याप्त
भ्रष्टाचार और राजनैतिक दूरदृष्टि की कमी ने महाराष्ट्र में होने वाले निवेश को
पडोसी  गुजरात की तरफ धकेल दिया|
मेरी माने तो गुजरात की जनता ने गुजरात के विकास के लिए महाराष्ट्र के नेताओं को गुजरात के सबसे बड़े सम्मान से नवाज़ना चाहिए|
अब रही गुजरात की कृषि  विकास दर की बात, तो यह विकास दर भी
मोदी का चमत्कार नहीं है|  इस  विकास दर का श्रेय केंद्र सरकार और मोदी के 
पहले रहे गुजरात के मुख्यमंत्रियों को जाता है जिनके प्रयास से हुई  नर्मदा
 परियोजना की पूर्णता के कारण  गुजरात में  सिंचित क्षेत्र बढ़ा  और कृषि उपज में 
 बढ़ोत्तरी उसका परिणाम है| यह मोदी का सौभाग्य है की वे सही समय पर सही
कुर्सी पर विराजमान हैं, उन्हें भी प्रणाम|

 अन्ना हजारे की भ्रष्टाचार विरोधी मुहीम के बारे में पहले भी लिखा है,
अगले ब्लॉग में पुनः अन्ना को संबोधित करूंगा|
आपका अपना,
'नमन'

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