संबंधों को निबाहा है मैंने
सारी पीड़ा -सारे अपमान
सारी विवशताओं के बावजूद
मैंने रोपे हैं संबंधों के वीज
संवेदनाओं की उर्वरा भूमि में
समय समय पर सींचा है उसे
स्नेह - प्यार- दर्द और करुणा से
मेरे हृदय में सजी
संबंधों की फुलवारी में
उग आते हैं अलग अलग
रंग -गंध और आकृति के
अलग अलग मौसमों में
पुष्पित और पल्लवित होने वाले पौधे
किसी क्यारी में
उग रहे हैं वीज
नए संबंधों के
मन नाच रहा होता है मयूर सा
इस आशा में की खिलेंगे इसमें फूल
गंध से पागल हो उठेगा मन
वहीँ किसी कोने में
कुछ फूल मुरझा रहे हैं
नए बिरवे की आवभगत में
अनदेखी हो जाती है
पुरानी क्यारी
जिसने दी है मुझे
अनंत खुशियाँ बीते दिनों में
सुगन्धित वर्तमान और
बेहतर भविष्य के सपनों के बीच
उपेक्षित
पतझड़ वाली पुरानी क्यारी
अपने सूखे फूलों और पत्तों के साथ
मुझे आज भी अधिक प्रिय है
भले न हों उसमे सुगन्धित पुष्प
भले सूख रही हों डालियाँ
पर कांटे तो है वही पुराने
जब भी चुभते है
पुरानी संवेदना - पुराना दर्द
हरा भरा कर देते हैं
हरा भरा कर देते है अतीत की
सुनहरी यादों को
जिस पर मैंने अपना विश्व रचा|
'नमन'
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