Tuesday, 19 April 2011

MEET

मित्रों,
 आज का ब्लॉग मैं  उस इंसान  को समर्पित करना चाहूँगा जो मेरे पास होकर भी 
बहुत दूर है| पास होने का अर्थ अपना होना नहीं लगाया जा सकता, और दूर
होने का अर्थ पराया होना या अपना न होना भी नहीं लगाया जा सकता|
मैंने कभी लिखा था.....
               वो शख्श   मुझसे  दूर- दूर है   लेकिन
               मेरी  सासों में  खुशबू की  तरह  बसता है 
               ऐसे रिश्ते  का    कोई  नाम  नहीं हो सकता 
               मगर वो शख्श मोहब्बत का एक फ़रिश्ता है| 
मैंने उसकी आँखों में वो सूनापन देखा है जो या तो फकीरों की आँख में
 होता है या फिर ऐसे व्यक्ति की आँख में जो  खोया हुआ है या दूसरे शब्दों 
में कहें तो दर्द और करुणा में डूबा हुआ है| बहुत पहले मेरे एक मित्र ने मुझसे 
पूछा था की हमारी मित्रता के पीछे क्या  कारण है, या हम आपस में मित्र क्यों
हैं? मैंने अपने मित्र को हमारी मित्रता के कुछ कारण बताने की कोशिश की
तो उसने कहा,मारूंगा एक थप्पड़ जोर से अगर दोस्ती के कारण ढूँढने की
कोशिश भी की| मित्रता की कोई वजह नहीं होती | कुछ ऐसा होता है हममे
जो एक जैसा होता है और  हम एक दूसरे को पसंद करने लगते हैं| कभी इस
डर से की जिससे मै मित्रता करना चाहता हूँ वो मेरे मापदंडो पर खरा उतरेगा
की नहीं यह सोच कर हम मित्रता का हाथ आगे नहीं बढ़ाते| मैंने कभी लिखा
था.....
                     गम ये है उसने समझा नहीं अपने काबिल
                     वरना  काफी है उसकी याद ही जीने के लिए|| 
 अपनी इन पंक्तियों को अपने भविष्य के  मित्र को समर्पित करते हुए आज आपसे विदा
ले रहा हूँ|
                     काश तुम जैसा मेरा कोई हमनशीं होता
                     मेरे दामन में ज़माने का गम नहीं होता|
                    अपनी तन्हाई से आवाज तुझे कैसे    दूं
                    सूनी  आँखों में किसी का बशर नहीं होता||     'नमन' 
                 


  

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