Saturday 26 March 2011

PREM

मित्रों,
आज आदरणीय भाई प्रेम शुक्लजी ने होली उत्सव में  आमंत्रित  किया  था| भाई प्रेम शुक्ल के नाम में ही प्रेम है, सो  इतने प्रेम और आदर से पूरे समाज को आमंत्रित करते हैं  की कोई उनके स्नेह भरे
निमत्रण पर उनके यहाँ न पंहुचे ऐसा होना मुश्किल है| फिर भी आज
मैं उनसे दूर हूँ, परन्तु हृदय तो वहीँ है जहाँ वो हैं| सो हृदय से कुछ
लिख कर , कुछ ऐसा लिख कर जो हृदय के बहुत पास है, होली की 
शुभकामनायें अपने मित्रों तक पहुँचाना चाहता हूँ|

  हाँ सच यही है 
  मैंने अभी तक 
  प्रेम किया ही कहाँ है|
  जब करूँगा प्रेम
  तो चाँद उतर आएगा
   आसमान से
  और जब ऐसा होगा
  तो उठेंगी लहरें
  फट पड़ेंगे ज्वालामुखी
  उठेगा तूफ़ान
  आएगी सुनामी
  जो बहा ले जाएगी
  मानव निर्मित सभी अवरोधों को|
  पर याद रखना 
  मैं करूंगा प्यार 
  जरूर करूँगा
 इन्तजार है तो सिर्फ चाँद का
   मेरे अपने चाँद का|
                                   'नमन'
 
 
 
 
     

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