Saturday, 12 February 2011

ASHAAR

मित्रों! पिछले काफी दिनों से कुछ न कुछ अडचनों क़ी वजह से ब्लॉग पर लिख नहीं पाया|  आज कुछ अशआर, कुछ कताआत आप तक पंहुचा रहा हूँ........

वो मुझसे रूठ कर उठ कर चला गया लेकिन
कुछ तो है जो मेरी सांसो में अब भी अटका है||
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तेरी आँखों का काजल बह के  चेहरे तलक क्या आया       
स्याह रात ने गम क़ी निगल लिया मुझको||
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उसने दामन जो  मेरे हाथ से अपना खींचा
दिल ये लावारिस अब किससे लिपट के रोयेगा||
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ये जरुरी नहीं क़ी रोज मिलें हम उनसे
खुशबुए पहली मुलाकात अभी ताजा है||
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कभी भूल कर भी मोहब्बत न करिए
किसी नाजनीन क़ी इबादत न करिए|

भले इश्क में लाख खाए हों धोखे
मगर बेवफा क़ी शिकायत न करिए|  'नमन'



1 comment:

  1. ये जरुरी नहीं क़ी रोज मिलें हम उनसे
    खुशबुए पहली मुलाकात अभी ताजा है||
    Bahut sundar,,,meaningful words.

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