Saturday, 29 January 2011

ANAATH

आज सुबह  सुबह न जाने क्यों मन भर आया|  वह भावनाएं आप तक पहुंचा रहा हूँ.........
ये हकीकत है,  दुवाओं ने साथ छोड़   दिया,
बेमुरव्वत ने जब से मेरा हाथ   छोड़  दिया|

मै उसका साथ निभाऊं   तो निभाऊं   कैसे,
उसने बचपन में ही मुझको अनाथ छोड़ दिया|

तुझे चाहा,  तुझे पूजा,  क़ी बंदगी तेरी,
मुझे इस हाल में क्यों मेरे नाथ छोड़ दिया|

तुझसे शिकवा न करूँ तो क्या करूँ मैं भगवन
अब तो आंसुओं ने भी मेरा साथ   छोड़ दिया|
                                                        'नमन'

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