आज सुबह सुबह न जाने क्यों मन भर आया| वह भावनाएं आप तक पहुंचा रहा हूँ.........
ये हकीकत है, दुवाओं ने साथ छोड़ दिया,
बेमुरव्वत ने जब से मेरा हाथ छोड़ दिया|
मै उसका साथ निभाऊं तो निभाऊं कैसे,
उसने बचपन में ही मुझको अनाथ छोड़ दिया|
तुझे चाहा, तुझे पूजा, क़ी बंदगी तेरी,
मुझे इस हाल में क्यों मेरे नाथ छोड़ दिया|
तुझसे शिकवा न करूँ तो क्या करूँ मैं भगवन
अब तो आंसुओं ने भी मेरा साथ छोड़ दिया|
'नमन'
ये हकीकत है, दुवाओं ने साथ छोड़ दिया,
बेमुरव्वत ने जब से मेरा हाथ छोड़ दिया|
मै उसका साथ निभाऊं तो निभाऊं कैसे,
उसने बचपन में ही मुझको अनाथ छोड़ दिया|
तुझे चाहा, तुझे पूजा, क़ी बंदगी तेरी,
मुझे इस हाल में क्यों मेरे नाथ छोड़ दिया|
तुझसे शिकवा न करूँ तो क्या करूँ मैं भगवन
अब तो आंसुओं ने भी मेरा साथ छोड़ दिया|
'नमन'
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