Monday, 3 January 2011

आज नव वर्ष पर कुछ कोमल भावनाएं आप तक पहुँचाना चाहता हूँ| मैं मूलतः एक कवि हूँ और भावनाओं का ज्वार रोक नहीं पता| कब
ये भावनाएं शब्दों में गुंथ कर कविता बन जाती हैं, मुझे खुद पता नहीं चलता|
   मुझको गीत सुनाना होगा
   तुझको मीत बनाना होगा
    तेरी आँखों के कोरों में
    काजल बन लग जाना होगा|

   पुरवा जब भी लहराएगी
   कोयल कुहू कुहू गाएगी
   तुझको मेरे हृदय पटल पर
   प्रेम गीत लिख जाना होगा|

    बूंद बूंद बरसे है पानी
    बुझी न दिल क़ी प्यास पुरानी
    प्यार भरे काले  बादल से
    प्रेम सुधा बरसाना  होगा||
                                 'नमन'

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