आज नव वर्ष पर कुछ कोमल भावनाएं आप तक पहुँचाना चाहता हूँ| मैं मूलतः एक कवि हूँ और भावनाओं का ज्वार रोक नहीं पता| कब
ये भावनाएं शब्दों में गुंथ कर कविता बन जाती हैं, मुझे खुद पता नहीं चलता|
मुझको गीत सुनाना होगा
तुझको मीत बनाना होगा
तेरी आँखों के कोरों में
काजल बन लग जाना होगा|
पुरवा जब भी लहराएगी
कोयल कुहू कुहू गाएगी
तुझको मेरे हृदय पटल पर
प्रेम गीत लिख जाना होगा|
बूंद बूंद बरसे है पानी
बुझी न दिल क़ी प्यास पुरानी
प्यार भरे काले बादल से
प्रेम सुधा बरसाना होगा||
'नमन'
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