'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस' , एक आन्दोलन , एक विचार, एक तपस्या, एक स्वप्न जो शायद भंग हो चुका है| २८ दिसम्बर १८८५, मुंबई (बॉम्बे) से
१९-२० दिसम्बर २०१० के राष्ट्रीय अधिवेशन की अनवरत यात्रा में
कितने पड़ाव आये , कितने व्यवधान , कितने ही मोड़ आये पर यात्रा
निरंतर जारी है | इस अनवरत यात्रा में कांग्रेस की यह गंगा दूषित
और कलुषित भी हुई है | फिर भी इस राष्ट्र के विकास के लिए, पुनरुत्थान के लिए कांग्रेस आज और ज्यादा प्रासंगिक हो गयी है| समय समय पर इस प्रवाह में नयी सोच, नए विचार आकर मिले पर
कांग्रेस क़ी यह गंगा आगे बढाती गयी| डा. ए. ओ. हयूम से लेकर दादा भाई नौरोजी तक, और गोपालकृष्ण गोखले , बाळ गंगाधर तिलक से लेकर बिपिनचंद्र पाल, लाला लाजपतराय से होती हुई महात्मा गाँधी, सुभाष चन्द्र बोस, डा.अबुलकलाम आज़ाद, पंडित मोतीलाल नेहरु, जवाहरलाल नेहरु, महामना मालवीय और सैकड़ों हजारों अन्य महापुरुषों के अथक श्रम,त्याग,तप और बलिदान से प्रवाहित यह गंगा आज भी दूसरी वैचारिक नदियों और प्रवाहों से कई कई गुना बेहतर विकल्प है| हमारा प्रजातंत्र अपनी सभी कमियों के बावजूद दुनियां का सर्वश्रेष्ठ प्रजातंत्र है| जरुरत है सिर्फ समर्पित
युवाओं क़ी, जो एक बार फिर आगे आयें और इस देश को नयी दिशा दें| क्रांति क़ी चिंगारी सिर्फ और सिर्फ युवकों के हृदय में
जलती है और पूरे देश , पूरे समाज को नयी सोच और नयी रोशनी देती है| मुझे पूरा विश्वास है यह रोशनी कांग्रेस के अन्दर से ही
आएगी| इन्ही युवाओं के लिए मैंने कभी लिखा था....
अंधेरों को मिटाने क़ी तमन्ना ले के आये हैं
नयी दुनियां बसाने क़ी तमन्ना ले के आये हैं|
तुम्हारा साथ मिल जाये अगर तो बात बन जाये
नया इतिहास रचने क़ी तमन्ना ले के आये हैं||
यह आग मैं समय समय पर राहुल गाँधी में देखता रहा हूँ| वे इस जंग लगे वक़्त में भी आवाज़ देते रहते हैं .... जागते रहो! जरुरत है इस पीढ़ी के इन्ही जैसी सोच वाले जागरूक युवकों क़ी,जो आगे आयें और इस महान राष्ट्र के नव निर्माण में अपनी सक्रिय साझेदारी सुनिश्चित करें| महाकवि माखनलाल चतुर्वेदी क़ी प्रस्तुत लाइनों के साथ मैं आज क़ी बात पूरी करता हूँ..
अमर राष्ट्र, उद्दंड राष्ट्र, उन्मुक्त राष्ट्र यह मेरी बोली|
यह सुधार समझौतों वाली हमको भाती नहीं ठिठोली||
नव वर्ष क़ी शुभ और मंगल कामनाओं के साथ,
आपका अपना........... 'नमन'
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