पिछले दो तीन महीने मैं कहीं खो गया था! सच कहूँ तो खुद से भी दूर हो गया था | राजनीति क़ी अराजकता इतनी भयावह है क़ी शब्दों में बयान करना अत्यंत मुश्किल है| मेरे अपने जिनके लिए मैं तमाम उम्र जला , खुद को मिटाता रहा मेरी पीठ में खंजर भोंक रहे थे | मेरी कोई राजनैतिक महत्वकांक्षा कभी नहीं रही.....
' कैसे तुम्हे बताएं साथी जीवन का इतिहास,
हम तो सिर्फ मोहब्बत बूझें, बुझी न जिसकी प्यास|'
परन्तु मेरे मित्र नितांत राजनैतिक हैं| उन्होंने आँखों पर राजनीती
का चश्मा चढ़ाया हुआ है | सो सच देख पाना, समझ पाना, महसूस
कर पाना उनके वश क़ी बात नहीं है| मुझे अजय देवगन और ऐश्वर्या रॉय
क़ी एक पिक्चर याद आ रही है जिसमे अजय ऐश्वर्या को झूठे प्यार के
जाल में फंसा कर उसका उपयोग करता है और फिर जब पुलीस अजय
पर गोली चला रही होती है तो वह ऐश्वर्या को ढाल बनते हुए कहता है
क़ी तू जीते जी मेरे काम आई अब मरकर भी मेरे काम आ| ये स्वार्थ क़ी
पराकाष्ठा ही राजनीतिज्ञों को सफल बनाती है| लाशों क़ी, अपनों के बलिदान क़ी सीढियां चढ़ कर ही राजनेता सिंहासन तक पहुंचता है | खैर
" किसी बात पर कोई मुझसे खफा है,
न मैं बेवफा हूँ न वो बेवफा है ||"
" नमन"
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