मित्रों पिछले काफी दिनों से कोई ग़ज़ल या नज़्म नहीं कही थी आज आप तक पहुंचा रहा हूँ...
कितनी वजहें हैं मोहब्बत की गिनाऊँ कैसे ?
चाहता हूँ तुझे लेकिन करीब आऊँ कैसे ?
मेरे दिल में हैं क्या ज़ज्बात तुम्हारी खातिर
चीर कर सीना उन्हें तुमको दिखाऊँ कैसे ?
चाँद जो आसमान से मेरे दिल में उतरा
उसकी हर बात मैं लोगों से बताऊँ कैसे ?
तुझको सज़दा करूँ पूजा करूँ तेरी ए सनम
चाह कर भी गले मैं तुझको लगाऊँ कैसे?
बड़ी मुश्किल से जलाये हैं मोहब्बत के चिराग
दिल जले या जले घर उनको बुझाऊँ कैसे ?
दिल और धड़कन ने बहुत पहले साथ छोड़ दिया
'नमन' ये बात मैं दुनिया पे जताऊँ कैसे ?
' नमन'
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