नव वर्ष क़ी पूर्व संध्या पर कुछ अनकहा दर्द आप तक पहुँचाने क़ी कोशिश कर रहा हूँ...........
कोई रोग नया दिल में पाला नहीं गया
दिल से ये आशिकी का उजाला नहीं गया|
मैं प्रेम को ही पूजा क्या मानने लगा
वर्षों से मैं मस्जिद या शिवाला नहीं गया|
जब दिल पे लगी चोट उबल आतें हैं आंसू
पलकों से वजन इनका सम्भाला नहीं गया|
उसने भले ही धोखे दिए हैं तमाम उम्र
पर नाम उसका हमसे उछाला नहीं गया |
'नमन'
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