Monday 20 December 2010

HALAAT

पिछले दिनों मेरे एक सफल मित्र या संरक्षक ने मुझसे कहा कि मुन्ना आपने मुझे धोखा दिया है|तब से मैं लगातार अपने अन्दर झांक कर यह ढूँढने में लगा हूँ कि मैंने पिछली बार झूंठ कब बोला?पिछली बार कब अपने स्वार्थ में किसी को तकलीफ पंहुचायी? कब अपने दोस्तों के सिर पर पैर रखकर आगे बढ़ा? हाँ एक पाप मैंने जरूर किया है कि जब भी मेरे परम सफल मित्रों ने खुले आम अपने स्वार्थ के लिए झूंठ बोला तो मैं चुप रहा| जब मेरी राय पूंछी गयी तो  चुप रहा | परन्तु जब भी बोला सच ही    बोला | अब मेरा सच, मेरा अनुभव अगर मेरे मित्र को धोखा नज़र आता है तो मैं अपने आप को बदकिस्मत ही कहूँगा | मैंने बहुत पहले प्रस्तुत छंद लिखे थे वे अनायास याद आ रहे हैं..........
जब भी हालात क़ी भट्टी में झोंक दोगे मुझे
तप के निकलूंगा सदा मैं खरे सोने क़ी तरह |
तुम मेरी नरमी को कमजोरी मेरी मत समझो
नहीं बिखरुंगा कभी कांच के टुकड़ों क़ी तरह ||

पिछले दिनों मेरे आर.एस. एस. और बी.जे. पी. के मित्र राहुल गाँधी के पीछे पड़ गए कि उन्होंने इस्लामिक आतंकवाद से हिन्दू अतिवाद को अधिक दुर्भाग्यपूर्ण , अधिक खतरनाक बताया है |अपने आपको हिदुओं का मसीहा बताने वाले  इन्ही लोंगों के पूर्वज संगठन हिन्दू महासभा ने अतीत में अलग पाकिस्तान के लिए जमीन तैयार की थी | आज भी इस्लामिक आतंकवाद, जो बाहर से हम पर वार कर रहा है उससे तो हम लड़ ही रहें हैं आगे भी पूरी ताकत से लड़ेंगे लेकिन हिन्दू अतिवाद इस इस्लामिक आतंकवाद के लिए घर में जो ही जमीन तैयार करने लगा है वह दुर्भाग्यपूर्ण है| बाहर से होंने वाले आक्रमण का जवाब देने में हम सक्षम हैं परन्तु यदि नफ़रत का कैंसर हमारे अन्दर फैलने लगा तो उसका इलाज़ मुस्किल हो जाएगा | पहले ही यह नफ़रत का ज़हर  कितने लोंगों
की जाने ले चुका है अब तो प्यार के बीज बोने की बारी है.... मैंने कभी लिखा था...
यदि ह्रदय प्यार से भर जाये , दानव भी देवता बन जाये,
तू प्यार करे सारे जग से, सारा जग तेरा बन जाए ||
ये जीवन अमृत कलश सदृश , वाणी भी अमृतमय कर ले
फूलों के बीज बिखेरें हम, सारा वन  उपवन हो जाये ||
                                                                        naman

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