15 ऑगस्ट क़ी पूर्व संध्या पर मेरे स्नेही, मित्र , भाई कवि श्री दिनेश "बावरा" मेरे साथ बैठे है| उन्हें मेरा
नया काव्य संग्रह बहुत पसंद आया और वे बधाई देने उपस्थित हुए, हैं| हिन्दुस्तान को स्वतंत्र हुए ६३ वर्ष
हो गए हैं, मेरे सभी भारतीय बन्धु बांधवों को स्वतंत्रता दिवस क़ी असंख्य शुभकामनायें | हमारे प्रथम
प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु ने १४ ऑगस्ट क़ी रात १२ बज कर १ मिनट पर सभी देशवासियों को
संबोधित करते हुए किया था वादा, हर आँख के आंसू पोंछने का! उस महामानव के उत्तराधिकारियों का
शायद उनके वादे , उनके स्वप्न , उनकी भावनाओं से दूर दूर तक कोई सम्बन्ध नहीं है | आम आदमी आज भी मर मर कर जी रहा है | आम आदमी क़ी भावनाएं आप तक पहुँचाना चाहता हूँ............
वह अभी
कल ही तो मरा था
शायद परसों भी
उसके पहले भी
कई कई बार
सिर्फ मरने क़ी
स्थितियां अलग अलग हैं
फिर यह शरीर ?
मत पूंछो मित्र
यह तो एक चलती फिरती लाश है
जिसे हिला डुला रही हैं
कभी
बच्चों क़ी भूख
तो कभी मां क़ी आशा
कभी भाईयों के स्वप्न.....
तो कभी बीवी क़ी
प्रश्नवाचक आँखों ने
मजबूर किया है
क़ी ये हिलता डुलता रहे |
"नमन"
,
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