बरसों पहले
मैंने फ़तवा जारी किया था
अपने दिल के ख़िलाफ़
मोहब्बत करने की
मनाही थी उसे
मेरी नज़रों पर
पाबंदी थी
किसी हसीन बुत को
मोहब्बत भरी नज़रों से
देखने की
मेरे होठों को
सी दिया गया था
ताकि वे न गा सकें
मोहब्बत के गीत
फ़तवा जारी किया था मैंने
अपनी धड़कनों के ख़िलाफ़
उनको धड़कना मना था
किसी के प्यार में
और अब
जब आप
फ़तवा जारी कर रहे हो
प्यार के ख़िलाफ़
तब मैं आपके साथ हूँ..
एक फ़तवा
जारी होना चाहिए
साँस लेने के ख़िलाफ़ भी
और एक
मुस्कराने के ख़िलाफ़
और एक और
जीने के ख़िलाफ़ भी...
नमन
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