Sunday 27 October 2019

नज़र


उसने जब देखा तिजारत की नज़र से देखा
मैंने फिर भी उसे इज्ज़त की नज़र से देखा।

वो जानता है की वो मेरी कमजोरी है
तभी उसने मुझे हिकारत की नज़र से देखा।

चिराग हमने जलाये हैं उसकी राहों में
और उसने हमें ग़ुरबत की नज़र से देखा।

उसकी आँखों में मोहब्बत है रकीबों के लिए
उसने उनको सदा चाहत की नज़र से देखा।  

ये सियासत का असर है की मेरे अपनों ने
मुझे जब देखा खिलाफत की नज़र से देखा।

ये मेरा ख्वाब था की वो मेरा हो जायेगा
मगर उसने हमें नफरत की नज़र से देखा।
नमन 

No comments:

Post a Comment