- दोहे -
राजनीती में आज कल नया चला ए दौर
काम करे कोई और है, फीता काटे और।
काम करे कोई और है, फीता काटे और।
प्रेम सताया जा रहा, नफरत का है राज
फैला चारों तरफ है भय भ्रम का साम्राज्य।
फैला चारों तरफ है भय भ्रम का साम्राज्य।
प्राण जाये पर वचन न जाये है रघुकुल का मन्त्र
नारा दे ‘श्री राम’ का वे करते षड्यंत्र।
नारा दे ‘श्री राम’ का वे करते षड्यंत्र।
संविधान हमें दे गए पुरखे थे विद्वान
गुंडे अब कर रहे हैं संसोधन की माँग।
गुंडे अब कर रहे हैं संसोधन की माँग।
---------------
ए जरूरी है की सच सामने लाया जाए
और दुनियाँ से जहालत को मिटाया जाए।
और दुनियाँ से जहालत को मिटाया जाए।
कुछ लोग नफरत को ईमान समझ बैठे हैं
पाठ उन सबको मोहब्बत का पढ़ाया जाए।
पाठ उन सबको मोहब्बत का पढ़ाया जाए।
पेट मे रोटी और आँखों मे ख्वाब हों सबके
किसी इंसान पर अब ज़ुल्म न ढाया जाए।
किसी इंसान पर अब ज़ुल्म न ढाया जाए।
देश मेरा है, तुम्हारा है और उसका भी है
हमें मजहब के नाम पर न लड़ाया जाए।
हमें मजहब के नाम पर न लड़ाया जाए।
कोई हिंदू हो, मुसलमान हो या ईसाई हो
धर्म के नाम पर न उसको सताया जाए।
धर्म के नाम पर न उसको सताया जाए।
कभी इस्लाम हुआ करता था खतरे मे 'नमन'
अब हिंदुओं को नहीं खतरे मे बताया जाए।
अब हिंदुओं को नहीं खतरे मे बताया जाए।
---------------------
No comments:
Post a Comment